वाहन चलाने की सीख देने वाले स्कूल खुद अवैध
शहर में केवल दो ड्राइविंग स्कूल ही पंजीकृत है, लेकिन आधा दर्जन ड्राइविंग स्कूल चलाए जा रहे हैं। चूंकि सडक़ पर वाहन उतारने से पहले चालक को वाहन चलाने का पूरा ज्ञान होना जरूरी है। इसके लिए तमाम लोग ड्राइविंग स्कूलों का सहारा लेते हैं। गंभीर यह है कि जो स्कूल वाहन चलाने की सीख दी रहे हैं, वह खुद अवैध रूप से चल रहे हैं। शहर में गली-मोहल्लों में ऐसे स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है। नागरिकों को वाहन चलाने की शिक्षा के नाम पर सिर्फ जुगाड़ की सीख दी जा रही है। इस तरह के स्कूलों से वाहन चलाने की सीख लेकर जब लोग वाहन लेकर सडक़ों पर उतरते हैं तो कभी वह खुद दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं तो कभी दूसरे व्यक्तियों को चपेट में ले लेते हैं।
नियमों का नहीं होता है पालन
ड्राइविंग स्कूल शुरू करने के लिए आरटीओ कार्यालय से रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस दौरान स्कूल में मौजूद टेक्निकल स्टाफ, व्हीकल और लर्निंग लोकेशन की जानकारी देनी होती है। विभागीय अधिकारी मौके पर जाकर देखते हैं कि जिस जगह लोगों को कार चलाना सिखाया जाएगा वह पर्याप्त है या नहीं। इसके बाद कागजी कार्रवाई पूरी की जाती है। यह सभी काम खत्म होने के बाद ही लाइसेंस दिया जाता है। इसके अलावा ट्रेनिंग दे रहे ड्राइवर को कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए। स्कूल परिसर में लेक्चर के लिए भी पर्याप्त स्थान होना जरूरी है। इसके बाद भी शहर में कई स्कूल बिना रजिस्ट्रेशन के फर्जी तरीके से चलाए जा रहे हैं।
वसूल रहे तीन हजार
परिवहन विभाग ने जीप और कार चलाना सिखाने के लिए डेढ़ हजार रूपए फीस निर्धारित कर रखी है। लेकिन मोटर ड्राइविंग स्कूल 2500 से 3000 रूपए तक लोगों से वसूल रहे हैं। इसके अलावा भारी वाहन ट्रक-बस सीखने के लिए 3000 रूपए फीस निर्धारित है। परिवहन विभाग में दोपहिया वाहन पर 30 और चार पहिया वाहन पर 60 रूपए प्रति व्यक्ति के ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले को जमा करवाने होते हैं।
ये हैं गाइडलाइन के मुख्य बिंदु
ड्राइविंग स्कूल संचालक या ट्रेनर कम से कम 10वीं पास हों। केंद्र या राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त मोटर मैकेनिक्स या मैकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की तकनीकी योग्यता (आईटीआई डिप्लोमा) होना भी जरूरी। ड्राइविंग स्कूल जिन श्रेणियों के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं, उन श्रेणियों का एक-एक वाहन होना चाहिए। इनका मालिक स्कूल संचालक हो। ये वाहन टैक्सी के रूप में रजिस्टर्ड हों। इनका रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस और लाइफ टाइम टैक्स जमा हो। स्कूल में ब्लैक बोर्ड, आवश्यक संकेतों के साथ रोड प्लान बोर्ड, यातायात चिह्न, ऑटोमैटिक सिग्नल्स और ट्रैफिक पुलिस का संकेत चार्ट, मोटरयान के सभी कम्पोनेंट विवरण प्रदर्शित करने वाला सर्विस चार्ट हो। फिक्स स्पैनर, बॉक्स स्पैनर, स्क्रू स्पैनर, स्क्रू ड्राइवर के एक-एक सेट, प्लायर, हैमर आदि औजार हों। पर्याप्त फर्नीचर के साथ ड्राइविंग इंस्ट्रक्शन मैन्युअल, ऑटोमोबाइल मैकेनिज्म, ड्राइविंग रोड सेफ्टी, रोड एंड ट्रैफिक रेग्युलेशन, मोटर व्हीकल लॉ संबंधी किताब, अधिसूचना और विभागीय परिपत्रों का संग्रह हो। आपातकाल के लिए अग्निशमन यंत्र, फस्र्ट एड बॉक्स होना जरूरी। जिस वाहन के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं, उसे चलाने का पांच साल का अनुभव हो। मोटर वाहन अधिनियम के शेड्यूल एवं धारा 118 के अंतर्गत बनाए गए रोड रेग्युलेशन का पूरा ज्ञान हो। वाहन के सभी पाट्र्स, उनकी कार्यप्रणाली को समझाने व स्पष्ट करने की पर्याप्त योग्यता के साथ अंग्रेजी, हिंदी व क्षेत्रीय भाषा का सामान्य ज्ञान हो। स्कूल में संचालक व कर्मचारियों के नाम, पते, योग्यता व नियुक्ति प्रमाण पत्र और स्कूल का लाइसेंस इस तरह लगाएं जो आसानी से देखा और पढ़ा जा सके। प्रशिक्षणार्थियों की पूरी सूची उपलब्ध हो।
इनका कहना है
शहर में केवल दो ड्राइविंग स्कूल के पास ही लाइसेंस है। अगर बिना लाइसेंस ड्राइविंग स्कूल चलाए जा रहे हैं। तो उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ