ये किए गए कार्य
पर्यटन मंडल के इंजीनियर विवेक चौबे ने बताया भीमकुंड परिसर में 3 करोड़ 72 लाख की लागत से विकास कार्य कराए गए हैं। जिसमें नहाने के लिए दो कुंड, महिला-पुरुषों के लिए दो अलग स्नानागार, कुंड के चारों ओर बाउंड्रीवॉल, पहुंच मार्ग, शौचालय, पार्क का निर्माण, स्नानगार में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था, सेल्फी प्वाइंट, कुंड परिसर में सौंदर्यीकरण का कार्य हुआ है। वहीं परिसर में रेस्टिंग स्पॉट एवं कथा मंच और मुख्य द्वार में भी सौंदर्यीकरण हुआ है। सौंदर्यीकरण का कार्य एक साल से चल रहा था जो अब पूरा हो गया है। इसके अलावा भीमकुंड के प्राचीन धीमादेवी मंदिर तक सीढिय़ों एवं सुरक्षा रेलिंग का निर्माण किया गया है।
तपोस्थली रहा है भीमकुंड इलाका
भीमकुंड बुंदेलखंड के ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों एवं साधकों की तपोस्थली रही है। इस स्थल पर अथाह जलकुंड वैज्ञानिक शोध का केंद्र भी बना हुआ है। यहां स्थित जल कुंड भू-वैज्ञानिकों के लिए भी कौतूहल का विषय है। आश्चर्य की बात तो यह है कि वैज्ञानिक इस जल कुंड में कई बार गोताखोरी करवा चुके हैं, किंतु इस जल कुंड की थाह अभी तक कोई नहीं पा सका। ऐसी मान्यता है कि 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बिजावर रियासत के महाराज ने यहां पर मकर संक्रांति के दिन मेले का आयोजन करवाया था। उस मेले की परंपरा आज भी कायम है। मेले में हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं। यहां विष्णु-लक्ष्मीजी के मंदिर के समीप एक और प्राचीन मंदिर स्थित है। इसके ठीक विपरीत दिशा में एक पंक्ति में छोटे-छोटे 3 मंदिर बने हुए हैं, जिनमें क्रमश: लक्ष्मी-नृसिंह, राम दरबार और राधा-कृष्ण के मंदिर हैं। भीम कुंड एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जो व्यक्ति को इस लोक और परलोक दोनों के आनंद की अनुभूति कराता है।