केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी यह सर्वे २०१९-२० का है। शहरी बच्चों की तुलना में पांच साल तक की उम्र के छोटे बच्चे ग्रामीण इलाकों में एनिमिक ज्यादा हंै। शहरी इलाकों में ५६ प्रतिशत तो ग्रामीण क्षेत्रों के ५९.५ बच्चे शरीर में खून की कमी से ग्रस्त हैं।
सबसे ज्यादा मामले हरियाणा में
बच्चों में एनिमिया के सबसे ज्यादा मामले हरियाणा राज्य में है। सर्वे के अनुसार ७१.७ प्रतिशत बच्चे एनिमिक हैं। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में यह दर ७२.९ प्रतिशत है। इस दृष्टि से सबसे बेहतर राज्य मणिपुर (१९.१ प्रतिशत) है। तमिलनाडु में ५०.४ प्रतिशत बच्चे इस रोग से ग्रस्त हैं। वैसे एनिमिक से सबसे ज्यादा प्रभावित केंद्रशासित प्रदेश दादर-नागर हवेली से है जहां के ८४.६ प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। राज्यों में हरियाणा आगे है।
कद, कमजोरी और वजन
देश में पांच साल तक की आयु के बच्चों का कद, विकास और वजन को भी सर्वे में जगह मिली है। इस दृष्टि से भारत में ३८.४ प्रतिशत बच्चों का कद कम है। २१ फीसदी बच्चे कमजोर या अविकसित हैं तथा ३५.७ प्रतिशत बच्चे आयु के अनुरूप कम वजन के हैं। आयु के अनुपात में ऊंचाई के मामले में बिहार सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है। जहां ४८.३ प्रतिशत बच्चे इस दायरे में आते हैं। कम वजन वाला अनाचाहा रेकार्ड झारखण्ड (४७.८ प्रतिशत) ने अपने नाम कर लिया है।
आयरन की कमी
चिकित्सकों के अनुसार खून की कमी होने का सीधा संकेत पोषाहार से है। बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिलने से एनिमिक होने की समस्या पैदा होती है। प्रसूता मां की सेहत का असर भी नवजात को प्रभावित करता है। बच्चों में आयरन की कमी होना और रक्त में लेड की मात्रा अधिक होने से भी बच्चों के एनिमिक होने की आशंका रहती है।