चंडीगढ़ पंजाब

क्या अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है? अगर आपका जवाब न है तो ये खबर पढ़ लें

यहां के अकेले पार्षद ने वह सब करके दिखा दिया जो पूरा सत्तापक्ष नहीं कर सका। पार्षद के कारण नगर निगम कर्मचारियों का वेतन कटने से बच गया।

चंडीगढ़ पंजाबJul 18, 2020 / 06:43 pm

Bhanu Pratap

Chandigarh nagar nigam

चंडीगढ़। एक सामान्य सी कहावत है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। अगर आप भी यही सोचते हैं तो जरा रुकिए। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि हां, अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है। चंडीगढ़ नगर निगम में तो यही हुआ है। यहां के अकेले पार्षद ने वह सब करके दिखा दिया जो पूरा सत्तापक्ष नहीं कर सका। पार्षद के कारण नगर निगम कर्मचारियों का वेतन कटने से बच गया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोग कोरोना काल में टैक्स से बच गए।
ग्रीन टैक्स के खिलाफ मोर्चा
चंडीगढ़ नगर निगम ने आय बढ़ाने के लिए नए स्रोत तलाशने के लिए एक कमेटी बनाई है। चंडीगढ़ में प्रवेश करने वाले बाहरी कॉमर्शियल वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने का सुझाव पूर्व मेयर एवं चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने रखा था। तब मीटिंग में विपक्ष की ओर से शामिल अकेले कांग्रेस पार्षद सतीश कुमार कैंथ ने विरोध किया था। अब शुक्रवार को दूसरी बार हुई इस कमेटी की मीटिंग में ग्रीन टैक्स का प्रस्ताव पुन: आता, इससे पहले ही कांग्रेसी पार्षद कैंथ ने ग्रीन टैक्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने साफ कहा कि ग्रीन टैक्स समेत किसी भी तरह के नए टैक्स का कांग्रेस डटकर विरोध करेगी। बैठक में इस कमेटी के संयोजक एवं निगम के अपर आयुक्त अनिल कुमार गर्ग ने स्पष्ट कह दिया कि नगर निगम के पास अब कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैस नहीं बचे हैं। मीटिंग में अनिल कुमार गर्ग ने नगर निगम में कर्मचारियों की छँटनी और वेतन में कम से कम दस प्रतिशत कटौती करने का प्रस्ताव तक रख दिया। कांग्रेस पार्षद सतीश कुमार कैंथ ने इसका कड़ा विरोध किया। निगम अफसरों से पूछा गया कि सैलरी में कटौती करने का अधिकार क्या उनके पास है? इस पर गर्ग ने कहा कि कमेटी पहले इसे पास तो कर दे।
प्रोफेशनल टैक्स का प्रस्ताव रद्द

पार्षदों के मुताबिक इस मीटिंग में निगम अफसरों ने पंजाब की तर्ज पर चंडीगढ़ में प्रोफेशनल टैक्स लगाने का प्रस्ताव भी कर दिया। पार्षदों ने इसका भी जमकर विरोध किया और इसे रद्द कर दिया। नगर निगम के वित्तीय हालात पटरी पर लाने के लिए गठित की गई इस कमेटी की तीसरी मीटिंग अब 24 जुलाई को होगी। इसके लिए पार्षदों ने अफसरों से निगम की बेचे जाने और किराए पर उठाए जाने लायक प्रॉपर्टी की भी डिटेल मांगी है। इस मीटिंग में पार्षद सतीश कुमार कैंथ के अलावा पार्षद राजेश कालिया, अनिल कुमार दुबे, देवेश मोदिगल, महेश इंद्र सिंह सिद्धू आदि मौजूद थे। कैंथ के अलावा सभी भारतीय जनता पार्टी के हैं।
पंजाब में लगा है टैक्स

गौरतलब है कि पंजाब में दो साल पहले प्रोफेशनल टैक्स लगाया गया है। इसके तहत सालाना ढाई लाख से ज्यादा कमाने वाले हर शख्स को 200 रुपए महीना टैक्स चुकाना होता है। पंजाब के मुलाजिमों के साथ ही राज्य में तैनात केंद्रीय कर्मचारी, सैनिक, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों, बिजनेसमैन व प्रोफेशनल्स भी इस टैक्स के दायरे में आते हैं। सीनियर सिटीजन और लीज पर जमीन लेकर या फिर खुद की जमीन पर खेती करने वाले किसानों को इसमें छूट है।
कांग्रेस और भाजपा पार्षदों के एकदूसरे पर कटाक्ष

मीटिंग में जनता के हितों को सुरक्षित करते हुए जनप्रतिनिधि यानी पक्ष-विपक्ष के पार्षद आपस में भिड़ भी गए। इसलिए कांग्रेस पार्षद सतीश कुमार कैंथ सत्तारूढ़ भाजपा पर ज्यादा आक्रामक दिखे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि नगर निगम भाजपा से नहीं संभल रहा तो इसे प्रशासन के हवाले कर दे। इस पर भाजपा पार्षद राजेश कालिया ने कटाक्ष के रूप में कैंथ को नसीहत दी कि इस मामले में कांग्रेस के सभी पांचों पार्षद इस्तीफा दे दें तो प्रशासन पर अच्छा दबाव बन सकता है। कांग्रेसी पार्षद सतीश कुमार कैंथ ने मीटिंग में भाजपा पार्षदों के कटाक्ष का जवाब देते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस को नगर निगम चलाने का भाजपा से ज्यादा अनुभव है। हमारा मेयर बना दो तो डेढ़ साल में बता देंगे कि नगर निगम की आय कैसे बढ़ती है। डेढ़ साल में निगम की कंगाली दूर हो जाएगी, क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम पर कांग्रेस के काबिज रहते वित्तीय संकट कभी नहीं आया। केंद्र में यूपीए की सरकार व चंडीगढ़ में कांग्रेस सांसद होने का भी नगर निगम को खूब फायदा मिला, जबकि आज निगम में भाजपा, केंद्र में भाजपा व सांसद भाजपा का होने के बावजूद निगम को चलाना भाजपा के लिए मुश्किल हो रहा है।

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