स्टार्टअप Startup से लेकर सभी बिग बिजनेस हाउस Big Business House को लगातार अपने प्रोडक्ट या सर्विस के लिए मार्केटिंग
marketing के नए आइडिया की जरूरत होती है। यही कारण है कि जहां अमरीका America में स्टार्टअप अपने वार्षिक बजट में 30 फीसदी से अधिक मार्केटिंग के अलग-अलग तरीकों पर खर्च कर रहे हैं वहीं इंडिया में स्टार्टअप करीब 18 फीसदी मार्केटिंग बजट रखते हैं। वर्तमान में यूरोप और अमरीका में स्टार्टअप या डिजिटल स्पेस वाली कंपनियों के बीच जो मार्केटिंग कॉन्सेप्ट Marketing concept ट्रेंड में है वह है को मार्केटिंग।
क्या है को-मार्केटिंगयदि कॉमन लैंग्वेज Common language में समझा जाए तो को मार्केटिंग वह आइडिया है, जिसमें दो या दो अधिक कंपनियां एक दूसरे के कंटेंट या प्रोडक्ट की जानकारी को अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर करती है। ऐसे प्रमोशन के जरिए जो रिजल्ट आते हैं उन्हें पार्टनरशिप करने वाली कंपनियां आपस में शेयर कर लेती है। इसमें रेवेन्यू से लेकर कस्टमर डेटा या अन्य प्रकार के रेस्पॉन्स सम्मिलित होते हैं। मार्केटिंग एक्सपर्ट के अनुसार अधिकतर को मार्केटिंग एग्रीमेंट में रेवेन्यू शेयर को बहुत कम शामिल किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से डेटा शेयरिंग, अवेयरनेस और कंटेंट को लेकर अधिक ध्यान दिया जाता है। को-मार्केटिंग कॉन्सेप्ट का सबसे अधिक उपयोग स्टार्टअप कर रहे हैं। उनके लिए शुरुआती दिनों में कस्टमर डेटा और उनके रिव्यू अधिक उपयोगी होते हैं।
एग्रीमेंट Agreement में क्या करें शामिलजब भी आप किसी अन्य कंपनी के साथ इस कॉन्सेप्ट पर काम करें तो आपको एक लिखित एग्रीमेंट करने की जरूरत है। इसमें को-मार्केटिंग का समय, क्या शेयर करना है उसकी जानकारी, ट्रेनिंग आदि बातों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। वहीं यदि आप जॉइंट इवेंट या कॉन्फ्रेंस भी प्लान कर रहे हैं तो उनका भी उल्लेेख होना चाहिए। एग्रीमेंट करते समय कानूनी सलाह लेना जरूरी होता है। इसके अलावा आप या आपकी पार्टनर कंपनी एग्रीमेंट समय में कोई अन्य प्रोडक्ट या सर्विस लाने जा रहे हैं तो क्या वह भी इसी एग्रीमेंट में सम्मिलित होगा या नहीं सहित विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखें।
कैसे करें पार्टनर का सलेक्शन Partner selectionजर्मन बिजनेस स्कूल के सर्वे के अनुसार को-मार्केटिंग में पार्टनर के सलेक्शन में यदि विविधिताओं को प्राथमिकता दी जाए तो यह कॉन्सेप्ट ज्यादा फायदेमंद होगा। जैसे कि समान सेक्टर वाले पार्टनर के स्थान पर स्टार्टअप को उन कंपनियों को भी प्रमुखता देनी चाहिए, जिनके कस्टमर आपके प्रोडक्ट या सर्विस के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर भी सबंध रखते हो। इससे प्रोडक्ट या सर्विस की पहुंच अधिक होगी और आप ज्यादा डेटा पा सकेंगे। यह थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि पार्टनर सलेक्शन के समय आपको संबंधित कंपनी को समझाना होगा कि उसे इस प्रकार की डील से क्या मिल सकता है।
कंटेंट पर ध्यान देने की जरूरतजो भी मार्केटिंग कंटेंट शेयर होगा उसका गुणवत्तापूर्ण होना जरूरी है क्योंकि कंटेंट ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे कि आपकी या पार्टनर कंपनी का टारगेट कस्टमर प्रभावित हो। इसलिए कंटेंट का सलेक्शन करने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यदि आप पार्टनर कंपनी की मार्केटिंग टीम के साथ बैठकर ही इस सबंध में प्लानिंग करें तो यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। ओरिजनल कंटेंट का ही प्रयोग करें साथ ही जो कंटेंट आप स्वयं के प्लेटफॉर्म पर पहले यूज कर चुके हैं उसे इस कॉन्सेप्ट में इस्तेमाल ना करें।