ILO के अनुसंधान विभाग के निदेशक और इसकी नई प्रकाशित रिपोर्ट के समन्वयक रिचर्ड सैमन्स ने कहा कि “वैश्विक रोजगार वृद्धि में मंदी का मतलब है कि हम 2025 से पहले कोविड -19 संकट के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद नहीं करते हैं।”
2023 में और अधिक लोगों के गरीब होने का अनुमान
रिपोर्ट में ILO ने कहा गया है कि “जैसे ही नाममात्र श्रम आय की तुलना में कीमतें तेजी से बढ़ेंगी, जीवन यापन की लागत से संबंधित संकट विकसित होगा जो अधिक लोगों को गरीबी में धकेल देगा। इसके साथ ही अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होती है तो स्थिति और खराब हो सकती है।
रिपोर्ट में ILO ने कहा गया है कि “जैसे ही नाममात्र श्रम आय की तुलना में कीमतें तेजी से बढ़ेंगी, जीवन यापन की लागत से संबंधित संकट विकसित होगा जो अधिक लोगों को गरीबी में धकेल देगा। इसके साथ ही अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होती है तो स्थिति और खराब हो सकती है।
ILO ने कहा है कि “मौजूदा मंदी का मतलब है कि कई श्रमिकों को कम गुणवत्ता वाली नौकरियां स्वीकार करनी होंगी। 15 से 24 साल की आयु के लोगों को अच्छा रोजगार खोजने और करते रहने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।” अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने शिक्षा और प्रशिक्षण में निवेश में वृद्धि का आह्वान करते हुए कहा कि वैश्विक युवा श्रम शक्ति का दो-तिहाई बिना बुनियादी कौशल के है, जिसने उनकी नौकरी की संभावनाओं को सीमित कर दिया और उन्हें निम्न-गुणवत्ता वाले काम में धकेल दिया। इसके साथ ही ILO ने कहा कि 2022 में दुनिया भर में लगभग दो अरब कर्मचारी अनौपचारिक रोजगार में थे।