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Russia Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन जंग का असर भारत पर भी, महंगाई बढ़ जाएगी, जानें क्यों

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे तनाव का सीधा प्रभाव भारत के आम आदमी पर पड़ रहा है। भारत के संबंध दोनों ही देशों से अच्छे हैं। ऐसे में यूक्रेन और रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लेकर तेल, पेट्रोल और डीजल पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। कच्चे तेल के दाम आसमान छु रहे हैं। वहीं, जापान की फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने भी दावे में कहा है कि इस जंग को भारत पर पड़ेगा गहरा प्रभाव।

Feb 26, 2022 / 07:55 am

Mahima Pandey

हर मोर्चे पर बढ़ती महंगाई कम कर रही है आम आदमी की कमाई

रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है जिसकी पूरी दुनिया निंदा कर रही है। रूस लगातार यूक्रेन की राजधानी में बम धमाके करा रहा जिस कारण कई लोग देश छोड़ रहे हैं। वहीं, रूसी जनता भी पुतिन के खिलाफ विरोध कर रही। जंग का प्रभाव पूरी दुनिया की आर्थिक व्यवस्था पर देखने को मिल रही है और भारत में तो इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। दोनों ही देशों से भारत के संबंध काफी गहरे हैं, ऐसे में युद्ध के कारण भारत पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। भारत की आर्थिक स्थिति अभी संभलनी ही शुरू हुई थी। ऐसे में इस तनाव से भारत की आर्थिक स्थिति और व्यापार को नुकसान पहुँच रहा है और महंगाई दर का ग्राफ भी ऊपर उठता जा रहा। जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने भी अब अपनी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला है।
इन दोनों देशों के बीच जंग होने से इसका सीधा प्रभाव आम आदमी की जेब पर रहा है। तेल की कीमतों में उछाल, महंगाई दर जिससे जनता पहले से ही परेशान है वो और बढ़ रही है। प्राकृतिक गैस से लेकर गेहूं सहित विभिन्न अनाजों की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है।

किन चीजों के बढ़ेंगे दाम?

पेट्रोल डीजल, सीएनजी रसोई गैस, सब्जी फल, खाने का तेल, खाद, मोबाइल, लैपटॉप और गैस पर सीधा प्रभाव पड़ने वाला है। जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग से महंगाई का दबाव बढ़ेगा। एशिया में सबसे ज्यादा भारत को ही इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

भारत कच्चा तेल के लिए आयात पर निर्भर हैं और रूस इसके प्रमुख सप्लायर में से एक है। भारत 80 फीसदी तेल बाहर से आयात करता है। इस कारण भारत का आयात बिल बढ़ गया है जिसका प्रभाव विदेशी मुद्दा भंडार पर भी पड़ेगा। इससे देश में एक बार फिर से महंगाई दर बढ़ रही है। ब्रेंट तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल, जबकि डब्ल्यूटीआई 98.84 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। फिलहाल, देश में तेल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
गैस के दामों में आएगा उछाल

कच्चे तेल कि कीमतों में उछाल आने से LPG और केरोसिन के दाम बढ़ सकते हैं जिससे भारत का सब्सिडी बिल बढ़ने वाला है। रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है। ये वैश्विक मांग का 10 फीसदी उत्पादन करता है अब कई तरह के प्रतिबंध के कारण इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा। घरेलू नेचुरल गैस की कीमत में एक डॉलर भी बढ़ती है तो इससे सीएनजी की कीमत 4.5 रुपये प्रति किलो बढ़ जाएगी। स्पष्ट है CNG की कीमत में 15 रुपये प्रति किलो बढ़ सकती है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें अचानक से बढ़ जाएंगी

वर्ष 2021 के आखिरी महीनों से आम आदमी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से परेशान था जिसके बाद चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत दी थी। रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल और डीजल 95.41 रुपये और 86.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। पिछले साल टैक्स कटौती के बाद से तेल कंपनियों ने कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि कुछ दिनों में आम जनता को परेशान करने वाली है।
गेहूं के दाम पर बड़ा प्रभाव

रूस दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों में से एक है, जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देशों के गेहूं निर्यात को मिला दें तो ये कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।

जंग शुरू होने से काला सागर से करिए निर्यात में बाधा या रही है। इससे अन्य देशों तक गेहूं को पहुंचाना कठिन हो रहा है। पहले ही कोरोना के कारण तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिली थी। इस जंग से गेंहू आवश्यक देशों तक निर्यात के जरिए नहीं पहुँच सकेगा। इससे कई देशों में गेंहु की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है।

हालांकि, जो देश रूस या यूक्रेन से गेहूं निर्यात करते थे वो अब भारत का रुख कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है। यदि जंग होती है तो भारत के गेहूं निर्यात में बढ़ोतरी अवश्य हो सकती है।
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खाने के तेल के दाम में होगी वृद्धि

ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2020 में यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल को खरीदा था। इसकी आपूर्ति बाधित होगी जिससे देश में इसके दाम बढ़ जाएंगे।

खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर की आपूर्ति पर प्रभाव

भारत ने वर्ष 2020 में लगभग 210 मिलियन डॉलर का खाद और लगभग 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर खरीदा था। यूक्रेन न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले में भारत का सबसे बड़ा सप्लायर है। इसकी आपूर्ति बाधित होने से भारत के न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
हथियार हो सकते हैं महंगे

पहले ही जंग की स्थिति को देखते हुए पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है। बता दें कि रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

भारत के हथियारों के आयात पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हो जाने से भारत के हथियार बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

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