दरअसल सेबी ने हाल ही में कई नियमों में बदलाव किए हैं। ऐसे में इसे जानना निवेशकों के लिए जरूरी हो जाता है। सेबी ने 10 प्वाइंट में इन बातों को विस्तार पूर्वक बताया है।
निवेशक क्या करें और क्या न करें
1.सेबी का कहना है कि केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार या अनुबंध करें। किसी ब्रोकर को चुनने से पहले उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को पूरी तरह से जांच लें।
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2. फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन योजनाओं से पूरी तरह सर्तक रहें। ब्रोकर या उनका कोई भी प्रतिनिधि/कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रिजरवेसन देने के लिए अधिकारिक नहीं हैं। आपके द्वारा दिए गए पैसों पर ब्याज का भुगतान करने या कोई लोन समझौता करने के लिए वैध नहीं है। इसके लिए आपको सर्तक रहना होगा।
3. आपने ‘केवाईसी’ (KYC) पेपर में सभी अहम जानकारियों को खुद भरें। ब्रोकर से अपने ‘केवाईसी’ पेपर के नियम अनुसार साइन की हुई प्रति को ले लें। सभी शर्तों की जांच करें, जिसे आपने स्वीकृत किया है।
4. स्टोक ब्रोकर के पास सही ईमेल आईडी और फोन नंबर को अंकित करवाएं। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से समय-समय पर संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना होगा।
5.आपके द्वारा निश्चित किए गए अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट (running account) के ऑप्शन को चुना है तो यह सुनिश्चित करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता है और किसी भी स्थिति में 90 दिन में एक बार डिटेल्स भेजता है।
6. डिपॉजिटरी से प्राप्त ज्वाइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफाई करते रहें। अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ जुड़ाव स्थापित करें।
7. सुनिश्चित करें कि पे-आउट की तारीख से एक वर्किंग डे के अंदर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। तय करें कि अपने ट्रेड के 24 घंटों के अंदर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों।
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8. ब्रोकर के पास कोई भी बैलेंस न रखें। ब्रोकर के दिवालिया होने पर उन खातों के दावे स्वीकार नहीं होंगे,जो 90 दिन से कोई ट्रेड न हुआ हो।
9. अच्छे मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देने वाले ईमेल और एसएमएस से सावधान रहें। किसी को भी अपनी यूजर आईडी और पासवर्ड नहीं देनी चाहिए। आपका सारा पैसा निकाला जा सकता है।
10. पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) को हैंडवोर करते समय सावधान रहें। सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर उपयोग कर रहे हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएं।