कारोबार

पेट्रोल, डीजल की कीमतें अगले सप्ताह से 15-22 रुपये प्रति लीटर बढ़ने के आसार

रूस-यूक्रेन के बीच अनिश्चित्ता को लेकर कच्चे तेल की कीमतें 95 डॉलर से 125 डॉलर प्रति बैरल के बीच बने रहने की उम्मीद है। इस संकट से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की घरेलू बाजार में कीमतें 15 से 22 रुपए प्रति लीटर बढ़ सकता है।

Mar 06, 2022 / 08:44 am

Shaitan Prajapat

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रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच क्रूड ऑयल की कीमत नया र‍िकॉर्ड बना रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी जारी है। रूस पर यूक्रेन के हमले के बाद क्रूड ऑयल ने 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार किया था। क्रूड ऑयल 95 डॉलर से 125 डॉलर प्रति बैरल के बीच बने रहने की उम्मीद है। IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संकट से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की घरेलू बाजार में कीमतें 15 से 22 रुपये प्रति लीटर बढ़ने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि तेल मार्केटिंग कंपनियां अगले सप्ताह यानी 7 मार्च से कीमतें बढ़ा सकती है। सोमवार को विधानसभा चुनावों में मतदान का आखिरी दिन है।

 

85 प्रत‍िशत तेल आयात करता है भारत
रिपोर्ट के अनुसार, एक्साइज ड्यूटी में कटौती से कुछ हद तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर असर कम हो सकता है। वर्तमान में भारत अपने कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी हिस्से का आयात करता है। इसके अलावा तेल की ज्यादा कीमत के बड़े असर से सामान्य महंगाई में बढ़ोतरी का ट्रेंड देखने को मिल सकता है। शन‍िवार शाम को बेंट क्रूड बढ़कर 118.1 डॉलर प्रत‍ि बैरल और WTI क्रूड 115.7 रुपये के स्‍तर पर कारोबार कर रहा है।



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3 महीने में इतना महंगा हुआ कच्चा तेल
रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते पिछले दिनों क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है। क्रूड ऑयल 02 दिसंबर 2021 को 70 डॉलर के करीब था, लेकिन अभी यह 110 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल चुका है। दिल्ली में डीजल-पेट्रोल के दाम में 02 दिसंबर के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली सरकार ने एक दिसंबर को डीजल और पेट्रोल पर वैट में कटौती की थी। उसके बाद से तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

 

महंगाई में होगी बढ़ोतरी
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों देश में महंगाई का आंकड़ा बढ़ने वाला है। देश में महंगाई को मापने वाला मुख्य कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI), जो रिटेल महंगाई को दिखाता है। एक महीने पहले भारतीय रिजर्व बैंक की टार्गेट रेंज के पार चला गया है। बढ़ोतरी को कमोडिटी की ज्यादा कीमतों पर थोपा गया था। इंडस्ट्री के कैलकुलेशन के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी से सीपीआई आधारित महंगाई में करीब 10 बेसिस प्वॉइंट्स की बढ़ोतरी होती है।

 

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