एमएसएमई के हितों की रक्षा के लिए सरकार की ओर से लाए गए नए भुगतान नियमों ने बाजार के छोटे कारोबारियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। स्थिति यह है कि कई छोटे कारोबारी खुद एमएसएमई रजिस्ट्रेशन को ही कैंसल कर रहे हैं।
क्या हैं नए नियम ?
असेसमेंट ईयर 2024- 25 के लिए नए पेमेंट नियमों के मुताबिक 50 करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले एमएसएमई से खरीदारी करने वाले ग्राहकों को डिलीवरी के 45 दिनों के अंदर पेमेंट को सेटल करना होगा। इसके अलावा पेंडिंग पेमेंट के भुगतान का काम भी 31 मार्च, 2024 तक किया जाना चाहिए। अगर खरीदार नई पेमेंट टाइमलाइन का पालन नहीं करते हैं, तो एमएसएमई को किए जाने वाले बकाया भुगतान को टैक्स योग्य इनकम माना जाएगा।
क्यों है विरोध ?
‘फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन्स ऑफ महाराष्ट्र’ (फेम) के प्रेजिडेंट जीतेंद्र शाह कहते हैं कि नए पेमेंट रुल्स में लघु उद्योग टिक ही नहीं सकेंगे। ऐसे में सेल्फ डिक्लेरेशन के तहत ही खुद अलग हो रहे हैं। कई बायर्स ने 31 मार्च को देखते हुए माल वापस करना शुरू कर दिया है।
क्या है चिंता?
मेटल कारोबारियों ने बताया कि नए नियम ने चिंता बढ़ा दी है और एमएसएमई को दिए गए ऑर्डर कैंसल करने की नौबत आ गई है। बाजार में डर का माहौल है।
क्या रजिस्ट्रेशन रद्द करवाना सही है?
जानकारों का कहना है एमएसएमई को समय पर पेमेंट मिले और उसकी वर्किंग कैपिटल की रिक्वायरमेंट पूरी हो सके, इसके लिए इसे कंपनी एक्ट में डाला गया है। यह प्रोविजन तो पहले से है, लेकिन इसकी रिपोर्टिंग नहीं हो रही थी, इसलिए इसे इनकम टैक्स के दायरे में डाला गया है। इससे कारोबारियो में अफरा-तफरी मच गई। पेमेंट में देरी होने पर 3 गुना इंटरेस्ट देने के अलावा इनकम में जुड़ने की बात सामने आई तो बैचनी पैदा हो गई । अगर पमेंट में डिले हुआ तो 31 मार्च को आउटस्टेंडिंग खर्चे में क्लैम नहीं मिलेगा। जब तक पेमेंट नहीं होगा, यह इनकम में ऐड रहेगा और पेमेंट होने पर अगले साल डिडक्ट हो जाएगा।