इससे पहले मई महीने में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। दरअसल रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं, जो दुनिया भर में एक-चौथाई गेहूं का निर्यात करते हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण दुनियाभर में गेहूं की आपूर्ति में व्यवधान पैदा हुआ है, जिसके कारण भारतीय गेहूं की मांग में बढ़ोतरी देखी गई थी। इससे घरेलू मार्केट में गेहूं के दाम बढ़ रहे थे, जिसके कारण सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आकड़ो के अनुसार अप्रैल 2022 से जुलाई 2022 के दौरान 2021 की इसी अवधि की तुलना में भारत से गेहूं के आटे के निर्यात में 200% की बढ़ोतरी देखी गई है। 2021-22 में भारत ने 246 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य का गेहूं के आटे का निर्यात किया है। वहीं वर्तमान फाइनेंशियल ईयर में अप्रैल से जुलाई के बीच में ही आटे का निर्यात 128 मिलियन डॉलर रहा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार 22 अगस्त को भारत में गेहूं का औसत खुदरा दाम 31.04 रुपए प्रति किलोग्राम रहा, जो पिछले साल के मूकाबले 22% अधिक है। एक साल पहले इसी अवधि में गेहूं 25.41 रुपए प्रति किलो ग्राम था। वहीं गेहूं के आटे के दाम में औसतन 17% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गेहूं का आटा 35.17 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है, जो पहले 30.04 रुपए था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में फसल के उत्पादन में 3% की गिरावट आई है, जिसके कारण थोक व खुदरा मार्केट में गेहूं की कीमते बढ़ी हैं। वहीं उद्योग मंडल रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने गेहूं की अनुपलब्धता और कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई है।
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