गुरूवार को पत्रिका कीनोट सलोन में संजय अग्रवाल पत्रिका समूह के दर्शकों और पाठकों के सवालों का जवाब भी दे रहे थे। सलोन का मॉडरेशन पत्रिका के मनीष रंजन के साथ संजय शर्मा ने किया। इस मौके पर संजय अग्रवाल ने कहा कि पोस्ट कोविड लोगों की जीवनशैली में भी बदलाव दिखेगा। एयू बैंक की बात करें तो इस सकंट से निपटने के लिए अपनी कार्यप्रणाली में भी कई तरह से बदलाव किए हैं। मसलन बैंक ने ऑनलाइन माध्यम पर फोकस किया है।
बैंकिंग का बदलता स्वरुप
कोविड के दौरान कुछ इंडस्ट्री ऐसी रही जिसे जरुरी सेवाओं में रखा गया उनमें बैंकिंग भी एक था। एक जमाना था जब बैंकिंग से जुड़े कार्य करने के लिए लोगों को अलग से समय निकालना पड़ता था। लेकिन अब बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों और गांवों तक में हालात बदल चुकी है। आगे इसमें और भी बदलाव देखने को मिलेगा। अब हम फेसलेश बैंकिंग की तरफ जा रहे हैं।
कोविड के दौरान कुछ इंडस्ट्री ऐसी रही जिसे जरुरी सेवाओं में रखा गया उनमें बैंकिंग भी एक था। एक जमाना था जब बैंकिंग से जुड़े कार्य करने के लिए लोगों को अलग से समय निकालना पड़ता था। लेकिन अब बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों और गांवों तक में हालात बदल चुकी है। आगे इसमें और भी बदलाव देखने को मिलेगा। अब हम फेसलेश बैंकिंग की तरफ जा रहे हैं।
डरकर नहीं लड़कर भगाना होगा इस महामारी को
कोरोना महामारी के चलते देश की इकोनॉमी काफी धीमी हो गयी है। लेकिन हमें इससे डरकर नहीं बल्कि लड़कर मुकाबला करना होगा। क्योंकि ये एक ऐसा वायरस है जिसे न तो हम देख सकते है न ही अभी फिलहाल इसका कोई ईलाज है। वहीं बैंकिंग सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है जिसने कभी फ्रॉड के रुप में या कभी किसी और रुप में मुसीबतों झेला है और उससे बाहर आया है। इसलिए हमें उम्मीद है कि आने वाला समय भारत का ही होगा। बस हमें इसे धैर्य से और पूरी ताकत से लड़ना होगा। अब हमें यहां से आगे सोचने की जरुरत है।
कोरोना महामारी के चलते देश की इकोनॉमी काफी धीमी हो गयी है। लेकिन हमें इससे डरकर नहीं बल्कि लड़कर मुकाबला करना होगा। क्योंकि ये एक ऐसा वायरस है जिसे न तो हम देख सकते है न ही अभी फिलहाल इसका कोई ईलाज है। वहीं बैंकिंग सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है जिसने कभी फ्रॉड के रुप में या कभी किसी और रुप में मुसीबतों झेला है और उससे बाहर आया है। इसलिए हमें उम्मीद है कि आने वाला समय भारत का ही होगा। बस हमें इसे धैर्य से और पूरी ताकत से लड़ना होगा। अब हमें यहां से आगे सोचने की जरुरत है।