इसके लिए कंपनी ने इसे भारत में बनाने और बेचने के लिए भारत की जेनरिक दवा कंपनियों के साथ करार किया है। इसके तहत सिपला लिमिटेड, ल्यूपिन लिमिटेड और सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड को रॉयल्टी फ्री नॉन एक्सक्लूसिव वॉलंटरी लाइसेंस जारी कर दिया है।
यह भी पढ़ेँः कोरोना के बाद ‘ब्लैक फंगस’ को लेकर सरकार की बढ़ी चिंता, ICMR ने जारी की अहम एडवाइजरी भारतीय ड्रग कंट्रोलर ने 3 मई को कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर के साथ बारिसिनिब ( Baricitinib ) के आपातकाल इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके बाद अब अमरीकी कंपनी लिली भारतीय जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों को लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है।
लिली का कहना है कि वह कई और भारतीय कंपनियों की इस तरह का लाइसेंस देने के लिए बातचीत कर रही है। कंपनी का कहना है कि इससे हाई क्वालिटी मैन्युफैक्चरिंग सुनिश्चित करने के साथ ही कोरोना के मरीजों के लिए दवा का विकल्प बढ़ जाएगा।
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कंपनी का कहना है कि संकट की इस घड़ी में कंपनी अपनी इनोवेटिव दवाओं के जरिए भारत की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही कंपनी भारत सरकार को डोनेशन भी दे रही है, जिससे वह कोरोना के बोझ को कुछ कम कर सकती है।
कंपनी का कहना है कि संकट की इस घड़ी में कंपनी अपनी इनोवेटिव दवाओं के जरिए भारत की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही कंपनी भारत सरकार को डोनेशन भी दे रही है, जिससे वह कोरोना के बोझ को कुछ कम कर सकती है।
सिपला लिमिटेड के एमडी और ग्लोबल सीईओ उमंग वोहरा की मानें तो कोरोना से जंग में कंपनी लगातार अग्रिम मोर्चे पर खड़ी है। वहीं लिली के साथ पार्टनरशिप इसका बड़ा उदाहरण है। आपको बता दें कि अमरीकी कंपनी ने 4 मई को घोषणा की थी कि वह सीधे रिलीफ के जरिए भारत को तुरंत बारिसिटिनिब की 4 लाख टैबलेट उपलब्ध करा रही है।