एजेंट की हर बात मानने से बचें: आमतौर पर बीमा एजेंट ग्राहकों को पॉलिसी बेचने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं। सबसे आम बात यह है कि रिटर्न गारंटीड है, आप फॉर्म पर साइन कर दीजिए, आगे मैं सब भर लूंगा। ज्यादातर लोग इन सभी बातों पर यकीन कर पॉलिसी खरीद लेते हैं। असल में बीमा एजेंट ग्राहक को वही सब बातें बताता है, जो ग्राहक को लुभावनी लगती हैं। वह पॉलिसी से जुड़ी तकनीकी चीजों के बारे में जानकारी मुहैया नहीं कराता है। एजेंट द्वारा इस तरह बीमा उत्पाद बेचने को ही मिस सेलिंग कहते हैं।
बीमा कंपनी को कॉल करें –
आजकल सभी बीमा कंपनियों के 24 घंटे वाले टोल फ्री नंबर उपलब्ध हैं। बीमा उत्पाद के बारे में हर तरह के स्पष्टीकरण के लिए आपको इन नंबरों पर कॉल कर सभी जरूरी जानकारियां प्राप्त कर लेनी चाहिए। यदि आपको कभी भी ऐसा लगे कि एजेंट आपको कुछ गलत तथ्य बता रहा है, तो बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन पर अपने संदेह पर स्पष्टीकरण जरूर ले लें।
भ्रामक फोन कॉल से पूरी तरह बचें-
भ्रामक फोन कॉल के जरिए मिस सेलिंग का बढऩा बीमा उद्योग के लिए परेशानी व बदनामी का सबब बनता जा रहा है। इसमें कॉल करने वाले गलत जानकारी देने के साथ ही ब्याज मुक्त लोन व भारी बोनस जैसे झूठे वादे कर ग्राहकों को जाल में फंसाते हैं। कई बार तो वह मौजूदा पॉलिसी सरेंडर करके नई पॉलिसी लेने की सलाह तक देते हैं, जिससे ग्राहक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है। यह जानना अहम है कि आप प्रामाणिक बीमा चैनल से पॉलिसी खरीद रहे हैं या नहीं। यदि आप ऑनलाइन पॉलिसी खरीद रहे हैं, तो जांच लें कि बीमाकर्ता वेबसाइट का डोमेन वास्तविक है या नहीं।
हमेशा सुरक्षित पेमेंट विकल्प चुनें-
बीमाधारकों को भुगतान के लिए हमेशा सुरक्षित पेमेंट विकल्प की चुनने चाहिए। ग्राहक चेक, डेबिट व क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन तरीकों से सीधे बीमा कंपनियों को प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके पास प्रमाण होगा कि आपने किसे पेमेंट किया है। इससे यह भी सुनिश्चित हो जाएगा कि जिस एजेंट से आपने पॉलिसी खरीदी है, वह प्रीमियम का पैसा अपनी जेब में नहीं डाल रहा है।