इस बार अहम बात यह है कि बजट की शुरुआत उन्होंने साहित्य अकादमी अवाॅर्ड से सम्मानित पंडित दीनानाथ कौल की एक कविता से की। उन्होंने कविता पढ़ते हुए उसका अर्थ भी समझाया। पंडित दीनानाथ कौल की कविता की शुरुआती पंक्तियां कुछ इस तरह से है…
“हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग जैसा
हमारा वतन डल लेक में खिलते हुए कमल जैसा
मेरा वतन नौजवानों के गरम खून जैसा
मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन,
दुनिया में सबसे प्यारा वतन…।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कश्मीरी कविता से बजट भाषण की शुरुआत करने के बाद अब इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। राजनेता इसे धारा 370 और 35ए की समाप्ति, सीएए, एनआरसी, एनपीआर तो कुछ नेता इसे शाहीन बाग और जेएनयू की घटना से जोड़कर देख रहे है। ये बात अलग है कि निर्मला सीतारमण ने इसका अर्थ लोकसभा में कश्मीर घाटी और डल लेक की सुंदरता, निश्चलता, युवा शक्ति और अन्य उपमाओं से तुलना करते हुए अपने वतन की तारीफ की। इस बात के संकेत भी दिए कि मोदी सरकार ठीक उसी भारत के निर्माण में जुटी है, जिसकी कल्पना पंडित दीनानाथ कौल ने की है।
कुल मिलाकर निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट देश की उम्मीदों को पूरा करने वाला है। भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद बेहद मजबूत है। जनता को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर पूरा भरोसा है। जीएसटी के जरिये टैक्स का जाल खत्म हुआ है। जीएसटी देश का सबसे क्रांतिकारी सुधार है। जीएसटी की वजह से लोगों को हर महीने चार प्रतिशत की बचत होती है। सरकार महंगाई को काबू करने में कामयाब रही।
निर्एमला सीतारमण यह बताने चाह रही थीं कि पीएम किसान योजना से किसानों का फायदा हुआ। किसानों की भलाई के लिए सरकार 16 सूत्री योजना पर काम कर रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और हम अपने लक्ष्य को हासिल करके रहेंगे।