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बुरहानपुर

Mumtaz Mahal: मुमताज महल का एमपी से खास नाता, काले ताजमहल से कैसे जुड़ी हैं शाहजहां की बेगम की यादें

Mumtaz Mahal: एक शहंशाह ने बनवाके हंसी ताजमहल, सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है…भूली-बिसरी यादों से निकली एक गीत की ये लाइन आज यूंही याद नहीं आई, यादें इसलिए ताजा हुई क्योंकि आज शाहजहां की बेगम मुमताज महल की पुण्यतिथि है और उनकी मोहब्बत की कई निशानियां एमपी में आज भी टूरिस्ट को अट्रेक्ट करती हैं

बुरहानपुरJun 07, 2024 / 10:10 am

Sanjana Kumar

Mumtaz Mahal
Mumtaz Mahal: उत्तर प्रदेश के आगरा के ताजमहल (taj mahal) को प्रेम का स्मारक माना जाता है। मुगल शासक शाहजहां ने बेगम मुमताज महल की याद में इसे बनवाया था। लेकिन बड़ी बात यह है कि ताजमहल की यादें मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से भी जुड़ी हैं।

अगर सब सही होता तो एमपी में होता ताजमहल

दरअसल आज आप जिस ताजमहल को देखने यूपी के आगरा शहर में जाते हैं, पहले वही ताजमहल बुरहानपुर में बनना था। इसका बड़ा कारण था कि मुमताज महल की मौत बुरहानपुर में ही हुई थी। और मौत के बाद मुमताज महल को यहीं दफनाया भी गया।

एमपी में क्यों नहीं बन पाया ताजमहल

एमपी के बुरहानपुर में ताजमहल बनाने के लिए मुगल शासक शाहजहां ने एक्सपर्ट से उसकी पूरी रूपरेखा तक तैयार करवा ली थी। लेकिन ताजमहल तो शफक संग-ए-मरमर (सफेद संगमरर) से बनाया जाना था। खूबसूरत और मुलायम सा दिखने वाला संगमरमर वजन में भारी था। और जब एक्सपर्ट ने यहां की मिट्टी और जमीन का मुआयना किया तो पता चला कि यहां की मिट्टी का स्तर संगमरमर से बने महल को ज्यादा लंबे समय तक खड़ा नहीं रख पाएगी। इसलिए शाहजहां का एमपी के बुरहानपुर में संग-ए-मरमर से दूधिया ताजमहल बनवाने का सपना अधूरा ही रह गया। लेकिन बाद में शाहजहां ने मुमताज महल से जुड़ी अपनी यादों के ताजमहल को आगरा में बनवाया। मुमताज का ताबूत वहां ले जाया गया।

10 मई को शाहजहां से निकाह के बाद बुरहानपुर आ गई थीं मुमताज महल

इतिहासकारों की मानें तो 10 मई सन् 1612 को शाहजहां और मुमताज का निकाह हो गया और मुमताज शाहजहां की तीसरी बेगम बनीं। सन् 1631 में शाहजहां मुमताज को लेकर बुरहानपुर आ गए। उस वक्त मुमताज महल गर्भवती थीं।

7 जून 1631 को बुरहानपुर में ही ली थी आखिरी सांस

7 जून 1631 में मुमताज ने बुरहानपुर में ही दम तोड़ था। यहीं छह माह तक आहुखाना में बने पाइबाग में मुमताज को दफनाया गया था। मुमताज को बेहद सुरक्षित ताबूत में रखा गया था। अपनी पसंदीदा बेगम के यूं अचानक चले जाने से शाहजहां दुखी हो उठा।

यहां है मुमताज का असली मकबरा

बता दें कि बुरहानपुर में ही शाहजहां की बेगम मुमताज महल का असली मकबरा (Mumtaz Mahal Tomb) है। लेकिन यह प्राचीन स्थल अब खंडहर में त़ब्दील हो रहा है। शहर से पांच किमी दूर ताप्ती के उस पार जैनाबाद में यह पाइबाग बना है। जहां मुमताज को दफनाया गया था।
mumtaz mahal real tomb burhanpur
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कई पर्यटक इसे देखने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन एप्रोच रोड न होने के कारण कोई भी यहां जाने की जहमत नहीं करता। यहां पर धरोहर को सहेजने के लिए प्रयास तो किए गए, लेकिन अब तक काम अधूरे हैं। यहां धरोहर का जीर्णोद्धार का भी काम चल रहा है। आसपास उद्यान विकसित किया जा रहा है।
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10 जून को यहां मनाया जाएगा मुमताज महल फेस्टिवल

10 जून को मुमताज महल फेस्टिवल का मुख्य आयोजन होगा। 393वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। 7 जून को हर साल मुमताज की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस बार चुनाव के चलते कार्यक्रम 10 जून को होगा। आयोजक शहजादा आसिफ ने बताया मुमताज महल कार्यक्रम के 52 वर्ष पूरे हो रहे रहे हैं। 10 जून को सुबह 10 से 2 बजे तक इतिहास और पर्यटन पर चर्चा होगी। इसी दिन गुलमोहर मार्केट में रात्रि 8 बजे से ऑल इंडिया मुशायरा और कवि सम्मेलन होगा।

यहां जानें काले ताजमहल से कैसे जुड़ी हैं मुमताज महल की यादें

Black Tajmahal Burhanpur
Black Tajmahal Burhanpur

इतिहासकार मोहम्मद नौशाद के मुताबिक काला ताजमहल में शाहनवाज खान का मकबरा है। वैसे शाहनवाज खान अब्दुल रहीम खानखाना का बड़ा पुत्र था। उनकी परवरिश बुरहानपुर में ही हुई और उनकी बहादुरी को देखते हुए उन्हें मुगल फौज का सेनापति बनाया गया। 44 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई, जिसे बुरहानपुर में उतावली नदी के किनारे दफनाया गया। कुछ दिन बाद उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया और उन्हें भी इसी स्थान पर दफनाया गया और इसी की याद में बना है यह शाहनवाज खान का मकबरा। इसे हम साधारण भाषा में काला ताजमहल कहते हैं। और कहा जाता है कि जब शाहजहां ने इसे काला ताजमहल देखा और उसके बारे में जाना तभी उन्होंने अपनी बेगम से कहा था कि वो भी उनके लिए ताजमहल बनवाएंगे लेकिन वो काले पत्थर नहीं बल्कि चांद सा खूबसूरत होगा। आज भी लोग यही कहते हैं कि शाहजहां को बुरहानपुर का काला ताजमहल को देखकर ही ताजमहल बनवाने का आइडिया आया और ताजमहल बनवाने की तैयारियां शुरू होने लगीं।

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