scriptगुढ़ानाथावतान में सफेदे के पेड़ पर बैठा लाल सिर आइबिस का एक समूह | A group of Red Headed Ibis sitting on a Safeda tree at Gudhanathavatana | Patrika News
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गुढ़ानाथावतान में सफेदे के पेड़ पर बैठा लाल सिर आइबिस का एक समूह

लाल रंग की टोपी जैसे सिर वाले रेड-नैप्ड आइबिस पक्षी ने लंबे समय से बूंदी की आबोहवा को अपना लिया है। विगत पांच वर्षों से इन बड़े आकार के पक्षियों ने जिले में अपना स्थाई आशियाना बनाया है। इस पक्षी को भारतीय ब्लैक आइबिस या काला बुज्जा के नाम से भी जाना जाता है।

बूंदीDec 14, 2024 / 12:13 pm

Narendra Agarwal

लाल सिर के आइबिस पक्षियों को रास आई बूंदी की आबोहवा

गुढ़ानाथावतान में सफेदे के पेड़ पर बैठा लाल सिर आइबिस का एक समूह

गुढ़ानाथावतान. लाल रंग की टोपी जैसे सिर वाले रेड-नैप्ड आइबिस पक्षी ने लंबे समय से बूंदी की आबोहवा को अपना लिया है। विगत पांच वर्षों से इन बड़े आकार के पक्षियों ने जिले में अपना स्थाई आशियाना बनाया है। इस पक्षी को भारतीय ब्लैक आइबिस या काला बुज्जा के नाम से भी जाना जाता है। लाल गर्दन वाला यह खूबसूरत आइबिस पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानी इलाकों में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह पक्षी झीलों, दलदलों, नदी के किनारों और ङ्क्षसचित खेतों में पाया जाता है। यह झुंड में रहता है और आम तौर पर छोटे-छोटे समूह में आद्र्रभूमि के किनारों पर चारा तलाशता है। आमतौर पर अब तक इस पक्षी की उपस्थिति हरियाणा,पंजाब और गंगा के मैदान में देखी गई थी, लेकिन अब इसकी जिले में भी स्थाई कॉलोनियां देखी गई है। जिले के गुढ़ानाथावतान में एक तलाई किनारे सफेदे के पेड़ों पर विगत 5 सालों से इन पक्षियों की स्थाई बस्ती बनी हुई है। पूर्व में यहां एक छोटा समूह था। जो अब 50 से अधिक हो गए हैं। वहीं बूंदी शहर के आसपास व रामनगर तालाब पर भी यह पक्षी दिखाई दे रहे हैं। जिले की समृद्ध जैव विविधता व नम भूमियों के चलते रेड नेप्ड आइबिस की संख्या बढऩा बूंदी के इको एवं पक्षी दर्शन पर्यटन के लिए शुभ संकेत है।
आकर्षक होता है लाल सिर आइबिस
भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाले इस पक्षी के कंधों पर एक सफेद निशान और पंखहीन सिर पर चमकदार लाल रंग का एक त्रिकोणीय टोपी जैसा निशान होता है। इसकी पूंछ नीले-हरे रंग की चमक के साथ काली होती है। जबकि गर्दन और शरीर भूरे और बिना चमक के होते हैं।
पानी वाले खुले खेतों में रहता है
इस पक्षी को पानी वाले क्षेत्रों में देखा जा सकता है,खेतों में जुताई करने के बाद किसान पानी देते हैं तो ये पक्षी वहां आ जाते हैं। यह अपनी लंबी टेढ़ी चोंच से पानी व मिट्टी से निकलने वाले कीटों को खाने के लिए आते हैं। रेड-नैप्ड आइबिस का बूंदी जिले में प्रजनन काल मानसून के दौरान रहता है और एक बार में यह 4 से 5 अण्डे देता हैं और ऊंचे पेड़ों पर अपना घोंसला बनाता है या चील कौवों के छोड़े घोंसलों का फिर से निर्माण कर लेता है। जिले में इसके घोंसले सफेदे के पेड़ों पर व मोबाइल टावरों पर भी देखे गए हैं।
सर्वाहारी होता है आइबिस
लाल गर्दन वाला आइबिस सर्वाहारी होता है,जो सड़ा हुआ मांस,कीड़े, मेंढक और अन्य छोटे कशेरुकी जीवों के साथ-साथ अनाज भी खाता है। ये पक्षी मुख्य रूप से सूखी खुली भूमि और ठूंठदार खेतों में चारा तलाशते नजर आते हैं।
इनका कहना है
रेड नेप्ड आइबिस पक्षी की राजस्थान में और विशेष रूप से हाड़ौती संभाग में स्थाई उपस्थिति अच्छा संकेत है। यह पक्षी काफी सुंदर व किसान मित्र है जिसका अध्ययन किया जा रहा है।
डॉ.मनीष ङ्क्षसह चारण,पशु चिकित्सक एवं रेड नेप्ड आइबिस पक्षियों के अध्ययनकर्ता

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