मोदी सरकार का 9वां बजट
निर्मला सीतारमण यह अपना तीसरा बजट संसद में पेश करेंगी जबकि मोदी सरकार का यह नौंवा बजट होगा। कोरोना महामारी के संकट के बाद का यह पहला बजट है। इसलिए कोविड-19 के संकट से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने वाले इस बजट से आम जनता से लेकर कॉरपोरेट तक की उम्मीदें जुड़ी होंगी।
निर्मला सीतारमण यह अपना तीसरा बजट संसद में पेश करेंगी जबकि मोदी सरकार का यह नौंवा बजट होगा। कोरोना महामारी के संकट के बाद का यह पहला बजट है। इसलिए कोविड-19 के संकट से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने वाले इस बजट से आम जनता से लेकर कॉरपोरेट तक की उम्मीदें जुड़ी होंगी।
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जानकारों की मानें तो इस बजट में आर्थिक विकास को रफ्तार देने के साथ-साथ सरकार के खर्च और आमदनी के बीच संतुलन बनाने की एक नई कोशिश होगी, जिसमें राजकोषीय समेकन यानी फिशकल कंसोलिडेशन का एक नया रोडमैप देखने को मिल सकता है। कृषि क्षेत्र के लिए भी नई घोषणाएं इस बजट में की जा सकती हैं।
जानकारों की मानें तो इस बजट में आर्थिक विकास को रफ्तार देने के साथ-साथ सरकार के खर्च और आमदनी के बीच संतुलन बनाने की एक नई कोशिश होगी, जिसमें राजकोषीय समेकन यानी फिशकल कंसोलिडेशन का एक नया रोडमैप देखने को मिल सकता है। कृषि क्षेत्र के लिए भी नई घोषणाएं इस बजट में की जा सकती हैं।
कॉर्पोरेट टैक्स राहत
महामारी से पहले कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स को 22 फीसदी और मैन्युफेक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया था। ऐसे में कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए किसी भी तरह की टैक्स में छूट मिलने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान इन कंपनियों को हुए नुकसान से उबरने में मदद के लिए निवेश आधारित राहत और ढील दी जा सकती हैं।
महामारी से पहले कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स को 22 फीसदी और मैन्युफेक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया था। ऐसे में कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए किसी भी तरह की टैक्स में छूट मिलने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान इन कंपनियों को हुए नुकसान से उबरने में मदद के लिए निवेश आधारित राहत और ढील दी जा सकती हैं।