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राज कपूर से जुड़ी कुछ अनसुनी कहानियां, सुनकर हैरान हो जाएंगे आप

राज कपूर बहुत ही बुद्धमान थे कहा जाता है कि वो जो भी करते थे उनके पीछे कोई ना कोई कारण आवश्य ही छिपा होता था। उनके दिमाग़ बहुत तेज था।हर तरह का सुचना उनके दिमाग में था। उनकी आंखे और कान हरमेशा खुले रहते थे। उनके पास सुचना का भंडार था।

Jan 16, 2022 / 12:20 pm

Manisha Verma

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राज कुमार कहते थे कि किसी भी रचनात्मक काम के पीछे हर तरह की नकारात्मक भावनाओं जैसे डर, बेइज़्ज़ती, हार, किसी अपने का खो जाना, संबंधों का टूटना बहुत ज़रूरी हैं। इम सब के कारण ही हमारी समझ मजबूत होती हैं। जो कि हर एक के जीवन में होना चाहिए। इससे रचनात्मकता समृद्ध होती हैं।
राहुल रवैल की बात करें तो उन्हें किसी पहचान की जरुरत नहीं हैं। वह भारत के जाने माने फ़िल्म निर्देशक हैं। वह कई फिल्मो मे राज कपूर के साथ बतौर सहायक निर्देशक काम करने का मौक़ा मिला हैं। उन्होने हाल ही में राज कपूर के लाइफ से जुड़ी एक शानदार किताब लिखी है – जिस किताब का नाम हैं ‘राज कपूर: द मास्टर एट वर्क’ इस किताब में राज कपूर के बारें में उन बातों के बारें में लिखा हैं। जिसके बारें में शायद ही कोई जानता होगा। इनकी इस किताब में राज कपूर के कई राज छिपी हैं। जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगें ।
राहुल रवैल एक किस्सा बताते हुए कहते हैं कि- “मैंने 12वीं कक्षा के बोर्ड के इम्तेहान दिए ही थे उसके बाद में एक दिन मेरे बचपन के दोस्त ऋषि कपूर का फ़ोन आया फोन कर वह कहते हैं कि मेरे पिता जी आज से नई फिल्म की शूटीग को स्टाट कर रहे हैं। जिसका नाम हैं मेरा नाम जोकर’ हैं। इस फिल्म के सर्कस के दृष्यों की शूटिंग शुरू कर रहे हैं। ये शूटिंग आज़ाद मैदान में होनी है। अगर तुम्हें यह देखना हो तो तुम आ जाओं यहां पर कम कपड़े पहने सेक्सी रूसी कलाकारों को देखना चाहते हो, तो वहाँ पहुंच जाओ।
इतना सुनने के बाद क्या था “मैं तुरंत वहाँ पहुंच गया और फिर कहा की शुरु में उन रूसी लड़कियों ने मुझे आकर्षित ज़रूर किया। लेकिन मैंने राज अंकल को नज़दीक से काम करते देखा तो मैं सब कुछ भूल गया। उन्हें देख काफी अच्छा लगा मुझे फिर मेरा पूरी ध्यान उन पर ही था। उनको देख कर ऐसा लगा कि जैसे कोई संगीतकार बिना म्यूज़िक शीट के किसी सिंफ़्नी का संचालन कर रहा हो.”।उन्हें नजदीक से देखना में ही मैं बहुत खुश था।
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राहुल रवैल ने आगे बताया कि- “ मैं राज कपूर की शूटिंग देख इतना प्रभावित हुआ की मैं लगातार 15 दिनों तक वहां शूटिंग देखने पहुंचा। ‘मेरा नाम जोकर’ फिल्म की शूटिंग मैनें 15 दिनों तक देखी। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाना था। लेकिन उसमें अभी सात महीने बाक़ी थे। इसी दौरान उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या वो इस खाली समय में राज कपूर के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर सकते हैं।क्योकि वह राज कपूर से बहुत प्रभावित थे।
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उनके पिता ने उन्हें राज कपूर के पास ले कर गए। जिसके बाद राज कपूर उन्हें अपने साथ रखने के लिए राजी हो गए। उस दिन के बाद से ही राज कपूर उनके उस्ताद और दोस्त बन गए। कुछ दिनों बाद ही राहुल रवैल को अंदाज़ा हो गया कि राज कपूर न सिर्फ़ विलक्षण सोच के मालिक हैं। बल्कि उन जैसी ज़िंदगी जीने वाले लोग इस दुनिया में न के बराबर हैं।वह बेहद ही अच्छे स्वभाव के थे।

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