यह भी पढ़े- अनिल कपूर फिल्म लम्हे के लिए कटवाए थे मूंछें,जाने क्यों मोहम्मद रफ़ी का परिवार नहीं चाहता था कि वह एक संगीतकार बने। लेकिन वह परिवार के ख़िलाफ़ अपनी मर्जी से वह मुंबई आए। अभिनेता कुंदन लाल सहगल गाने के लिए आए हुए थे। वहां मुहम्मद रफ़ी भी सहगल को सुनने गए थे। लेकिन अचानक बिजली गुल हो जाती है जिसकी वजह से सहगल ने गाने से मना कर दिया। उसी समय रफ़ी के बड़े भाई साहब ने आयोजकों से निवेदन किया कि भीड़ को शांत करने के लिए रफ़ी को गाना गाने का 1 मौक़ा देना चाहिए। यह पहला मौक़ा था जब रफ़ी ने लोगों के सामने गाना गाया। मात्र 13 साल की उम्र में रफ़ी ने अपना पहला परफॉर्मेंस दिया था। मोहम्मद रफ़ी ने आकाशवाणी लाहौर के लिए भी गाना गाया है। रफ़ी ने 1944 में अपना पहला गाना हिंदी में गाया था फ़िल्म का नाम था ‘गाँव की गोरी’।
आपको बता दें कि एक समय ऐसा भी आया था जब मोहम्मद रफ़ी को अपने गाने पर श़क होने लगा था। उन्हें लगने लगा था कि वह अच्छा गाना नहीं गा रहे। रफ़ी साहब ने महेंद्र कपूर को अपने घर पर बुलाया और कहा- ये सारे प्रोड्यूसर जो एक समय पैर छूते थे। आज वह चहरा देखकर निकल जा रहे हैं। जैसे की वो मुझे पहचानते भी नहीं है। मुझे बोहोत अजीब लग रहा है। फिर उन्होंने महेंद्र कपूर से पूछा ‘ क्या मैं एक बुरा गायक बन गया हूँ’ महेंद्र कपूर मोहम्मद रफ़ी को समझाते हुए कहते हैं कि आज वो आपके साथ कर रहे हैं कल वह किसी और के साथ भी यही करेंगे। इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। यह घटना उस समय की है जब मोहम्मद रफ़ी ने 1973 फिर हंसते ज़ख़्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया था।