मालदीव सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दक्षेस के कई सदस्य देशों ने इस्लामाबाद में होने वाले सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया है वह भी उनके साथ है। इन देशों ने पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को मिल रही मदद और उससे उत्पन्न खतरे और क्षेत्रीय अशांति को इसका कारण बताया है।
अब भारत समेत 6 देशों की ओर से सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किए जाने के बाद पाकिस्तान आखिरकार घुटनों के बल आ गया है और शुक्रवार को दक्षेस शिखर सम्मेलन को औपचारिक रूप से दर करने की घोषणा कर दी। विदेश कार्यालय के एक बयान के मुताबिक, दक्षेस चार्टर की मूल भावना का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि एक सदस्य राष्ट्र ने अपने द्विपक्षीय समस्याओं के लिए क्षेत्रीय सहयोग के बहुपक्षीय मंच को आघात पहुंचाया।
बयान के मुताबिक, दक्षेस के तहत पाकिस्तान क्षेत्रीय सहयोग को बेहद महत्ता प्रदान करता है और दक्षेस के 19वें शिखर सम्मेलन की जल्द से जल्द मेजबानी के लिए प्रतिबद्ध है। जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर 18 सितम्बर को आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत ने सम्मेलन में शिरकत न करने का फैसला लिया है, जिसके बाद 5 अन्य देशों ने भी सम्मेलन में न जाने का ऐलान किया।
बयान में यह भी कहा गया है कि भारत ने दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल न होकर इसकी प्रक्रिया में बाधा डाली है, जिसकी पाकिस्तान निंदा करता है। शिखर सम्मेलन 9-10 नवम्बर को होना था। बयान के मुताबिक, दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल न होने का भारत का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र में गरीबी के खिलाफ लड़ाई के आह्वान का विरोधाभासी है। विदेश विभाग ने कहा कि दक्षेस के अध्यक्ष नेपाल के माध्यम से इस्लामबाद में शिखर सम्मेलन के आयोजन की नई तारीख की जल्द ही घोषणा की जाएगी।