दरअसल हुआ कुछ यूं था कि जब अशोक कुमार मुंबई आए थे तो वो केवल लैब असिटेंड का ही काम करते थे लेकिन उनकी किस्मत तब बदल गई जब हिमांशु राय ने उन्हें बतौर हीरो अपनी फिल्म में हीरो का रोल दे डाला। यहां से अशोक कुमार का फिल्मी सफर शुुरू हो गया। सिनेमाजगत में पैर जामने के बाद उन्होंने भाई अनुप कुमार और किशोर कुमार को मुबंई बुला लिया। अशोक कुमार को किशोर से ज्यादा लगाव था इसलिए वह चाहते थे कि किशोर एक्टिंग में ही अपना करियर बनाएं।
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अशोक कुमार के सपने को पूरे करने की किशोर कुमार ने पूरी कोशिश की। उन्होंने लगभग 22 फिल्में की जिसमें से 16 फ्लॉप रहीं। इसके बाद किशोर कुमार को लगने लगा कि वह अभिनय के लिए नहीं बल्कि गायिकी के लिए बने हैं। तब उन्होंने बतौर अभिनेता नहीं बल्कि प्लेबैक सिंगर के तौर पर फिल्मों में गाना शुरू कर दिया। जिसके बाद किशोर की किस्मत ही पलट गई। उन्होंने अपने अंदाज से लोगों को दीवाना बना दिया।
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13 अक्टूबर 1987 यह एक ऐसा दिन था जिसने दोनों भाईयों की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी। कहा जाता है कि बड़े भाई अशोक कुमार के जन्मदिन की पार्टी किशोर कुमार ने अपने घर में रखी थी। उन्होंने बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों को बुलावा भेजा था। लेकिन उस रात किशोर ही उस पार्टी का हिस्सा नहीं पाए। किशोर की अचानक से हुई मौत की खबर ने अशोक कुमार को पूरी तरह से तोड़ दिया और उस दिन से उन्होंने कभी भी 13 अक्टूबर को अपना जन्मदिन नहीं मनाया।