दरअसल, ये बात तब की है जब राजकपूर लव स्टोरी पर आधारित फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ बनाने जा रहे थे। इस फिल्म में वो तन की खूबसूरती से ज्यादा मन की खूबसूरती दर्शाने चाहते थे। इस फिल्म के लिए उन्हें एक ऐसी लड़की की जरुरत थी, जिसकी आवाज बेहद सुरीली हो, जिसे सुनकर कोई भी दीवाना हो जाए, लेकिन वो दिखने में बेहद साधारण सी हो।
एक बदसूरत लड़की की आवाज है
इसी दौरान इस फिल्म को लेकर राजकपूर ने एक इंटरव्यू में दिया था। जिसमें उन्होने कहा था कि ‘आप एक पत्थर ले लीजिए, वो पत्थर तब तक ही पत्थर रहता है जब तक उस पर कोई धार्मिक निशान न हो, नहीं तो वो भगवान बन जाता है। ऐसे ही आप एक आवाज सुनते हैं और उसके दीवाने हो जाते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि वो एक बदसूरत लड़की की आवाज है। ये कहते ही राजकपूर रुक गए और उन्होंने इस शब्द को इंटरव्यू से हटाने के लिए कहा क्योंकि ये बात लता को अच्छा नहीं लगेगी।
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खूब मिन्नतें की लेकिन वो नहीं मानी
जब लता मंगेशकर को पता चला कि फिल्म में उन्हें इसलिए कास्ट किया गया है, क्योंकि उनकी आवाज और चेहरे में विरोधाभास है। तो लता भड़क उठीं और उन्होंने इस फिल्म को करने से इनकार कर दिया। राजकपूर ने उनके आगे खूब मिन्नतें की लेकिन वो नहीं मानी। इसके बाद राजकपूर ने उनसे फिल्म में गाना गाने की गुजारिश की पर लता दीदी नहीं मानी। कई बार मनाने के बाद वो सिर्फ टाइटल सॉन्ग गाने को तैयार हुईं, उन्होंने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ गाना गाया, जो आज उनके बेहतरीन गानों में से एक है। लता मंगेशकर के फिल्म में ठुकराने के बाद फिल्म में जीनत अमान नजर आई थीं।