दरअसल सिद्धार्थ बेदी महज 25 साल की उम्र में सीजोफ्रेनिया नाम की बीमारी का शिकार हो गए थे। कबीर ने इस बुक में अपने बेटे सिद्धार्थ को लेकर बताया कि वह बहुत टेलेंटिड लड़का था । उसमें कई विलक्षण योग्यताएं थीं लेकिन अचानक उसकी सोच थम गई थी। उसे एनकरेज करने की हमने बहुत कोशिश की, लेकिन उसे हम समझ ही नहीं पा रहे थे। किताब में पूरे किस्से का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था कि एक बार सिध्दार्थ ने कनाडा के मॉट्रियल में हिंसक व्यवहार किया था। उसे बहुत मुश्किल से पुलिसवालों ने कंट्रोल किया था । जब डॉक्टर्स ने उसका चेकअप किया तो पता चला कि सिद्धार्थ बेदी सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) का शिकार हो चुके हैं। सिध्दार्थ अपनी इस बीमारी के बारे में जानते थे। उन्होंने अपने मुंह से कहा था कि वह सुसाइड करना चाहते हैं। इसके बाद कबीर ने उन्हें डिफ्रेशन से निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए।
कबीर ने बताया था कि एक बार जब उन्होंने सिद्धार्थ का सोशल मीडिया अकाउंट देखा तो उसने एक मेल में अपने फ्रेंडस को फेयरवेल देने के लिए इन्वाइट किया था । इसके कुछ दिन बाद उन्होंने खुदकुशी कर ली थी। बेटे की मौत के बाद प्रोतिमा बेदी आध्यात्म की ओर मुड़ गईं, वहीं एक धार्मिक यात्रा के दौरान एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई।