उन्होंने अभिनय की दुनिया में अपनी लाइफ के 70 साल दिए। जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। ललिता पवार का जन्म इंदौर के अनसूया मंदिर के बाहर हुआ था ललिता ने महज नौ साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया था। वह अपने समय की हिट अभिनेत्री थीं। लेकिन एक दौर भी ऐसा आया, जब ललिता पवार ने फिल्मों में खलनायिका बनकर तारीफें बटोरीं। आइए एक्ट्रेस की जयंती (Happy Birthday Lalita Pawar) पर उनके जीवन को थोड़ा और करीब से जानें।
ललिता के पिता लक्ष्मण राव शगुन एक अमीर बिजनेसमैन थे। लक्ष्मण राव सिल्क और कॉटन का कारोबार किया करते थे। ललिका के जन्म से जुड़ा एक किस्सा है कि ऐसा कहा जाता है ललिता का जन्म होने वाला था तब उनकी मां अनुसुइया एक मंदिर में देवी के दर्शन करने गई हुई थीं और उसी दौरान ललिता का जन्म हो गया। अंबा देवी के मंदिर में पैदा होने की वजह से ललिता पवार का नाम अंबिका रखा गया। जी हां उनका असली नाम अंबिका था। मजह 9 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से अपना फिल्मी करियर शुरू कर दिया था। फिर 40 के दशक में उन्होंने लीड एक्ट्रेस के तौर पर काम करना शूरू किया। वैसे वो एक एकट्रेस कभी नहीं बनना चाहती थी लेकिन शायद फिल्म इंडस्ट्री में काम करना और नाम कमाना उनकी किस्मत में था।
दरअसल, एक बार ललिता अपने पिता के साथ किसी फिल्म की शूटिंग देखने गईं थी तभी शूटिंग चल रही फिल्म के डायरेक्टर नाना साहेब की नजर ललिता पर पड़ी। उन्हें देखते ही नाना साहेब ने ललिता को एक बाल कलाकार का रोल ऑफर कर दिया। हालांकि पहले ललिता का परिवार उनके फिल्मों में काम करने को लेकर बिल्कुल भी राजी नहीं था लेकिन वो भी बाद में मान गए।
ललिता पवार अपने किरदार ‘मंथरा’ की वजह से काफी चर्चा में रही थीं। उन्होंने ये किरदार सबसे पहले फिल्म ‘संपूर्ण रामायण’ में निभाया था। यह फिल्म साल 1961 में रिलीज हुई थी, जिसका निर्देशन बाबुभाई मिस्त्री ने किया था। इस फिल्म में ललिता पवार के अलावा, महिपाल, अनीता गुहा, एमबी व्यास, सुलोचना काटकर जैसे कलाकार नजर आए थे। इस फिल्म के बाद ललिता पवार ने रामानंद सागर की रामायण में भी मंथरा का शानदार किरदार निभाया था। ललिता पवार की पहली डायलॉग वाली फिल्म थी ‘हिम्मत-ए-मर्दा’ जो साल 1935 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में वो काफी बोल्ड किरदार में दिखाई दी थीं। उस दौर में इस फिल्म के लिए उन्होंने बिकनी सीन देकर हर तरफ से खूब सुर्खियां बटीरी थीं। ललिता ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह पक्की कर ही ली थी कि अचानक शूटिंग के दौरान एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया। ये बात से साल 1942 में जब ललिता फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ का एक सीन शूट कर रही थीं। उस सीन में एक्टर भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। पर उनका थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा कि वो नीचे गिर गईं।
जब डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर द्वारा दी गई किसी गलत दवाई की वजह से ललिता के शरीर के पूरे दाहिने हिस्से में लकवा मार गया। जिससे उनकी दाहिनी आंख भी पूरी तरह सिकुड़ गई थी। इस हादसे के बाद भी ललिता ने हिम्मत नहीं हारी औऱ फिल्मों में दोबारा वापसी की। लेकिन इस हादसे के बाद वो ज्यादातर नेगेटिव किरदार में ही दिखाई दी।लेकिन उनके नाकारात्मक किरदार भी लोगों को उनकी तारीफ करने पर मजबूर कर देते थे। फिर साल 1998 को ललिता ने इस दुनिया में अपनी अंतिम सांस ली।