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छोड़ना पड़ा था बंगला
गोविंदा ने बताया कि पिता की फिल्में फ्लॉप होने के कारण परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। बचपन काफी मुश्किलों से गुजरा था।और इसी के चलते पिता भी बीमार रहने लगे और इसके बाद हमें कार्टर रोड के बंगले से निकलकर चॉल में जाकर रहना पड़ा।
गोविंदा ने कहा, ‘कि जिंदगी से संघर्ष करना बुहत मुश्किल होता है। इस दौरान अपने लोग भी पाए हो जाते है। मैंने सुना और देखा भी था कि बच्चन सर के साथ क्या हुआ था, लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये मेरे साथ भी होगा। वो इससे उबरे, ये मेरे लिए प्रेरणादायी था।’
गोविंदा ने शो में कहा, ‘ कि हमारी रोज सुबह की शुरूआत मां की खूबसूरत आवाज सुनकर ही होती थी। हम उनसे पूछा करते थे कि आप भगान से इतनी प्रार्थना क्यों करती हैं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि कभी में इस चॉल से बाहर निकल पाऊंगा। ये सब कुछ इस कारण हुआ क्योंकि मेरी मां को मेरे ऊपर विश्वास था। हमारा अपना घर होना, सफल होना ये सभी मेरी मां की ही मेहनत और उनके आशीर्वाद का नतीजा है।
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गोविंदा ने कहा- ‘मैं चंद भाग्यशाली लोगों में’
गोविंदा ने शो में कहा, ‘मैं ये जरूर कहूंगा कि बहुत ही कम लोग ऐसे भाग्यशाली होते हैं जिन्हें अपने माता-पिता की सेवा करने का मौका मिलता है। मैं उन चंद भाग्यशाली लोगों में से हूं कि मुझे अपने माता-पिता की सेवा करने का मौका मिला। मैं वास्तव में आभारी हूं।’ आपको बता दें कि गोविंदा के पिता अरुण आहूजा एक फिल्म प्रोड्यूसर थे। फिल्में फ्लॉप होने के कारण उनके पिता की आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था।