दरअसल जापान में 1992 में एक फिल्म रिलीज हुई थी जो रामायण पर बनी थी। इसका नाम ‘रामायण द लेजेंड ऑफ प्रिंस राम’ है। जापानी फिल्ममेकर यूगो साको भारत आए थे। भारत में उनको रामायण के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने रामायण को पढ़ा और इसपर एक एनिमेटेड मूवी बनाने का सोचा।
विहिप ने किया विरोध
रामायण पर रिसर्च करने के कई साल बाद फिल्ममेकिंग शुरू हुई लेकिन फिल्म बनने से पहले ही विवादों में आ गई। यूगो साको के एनिमेटेड रामायण के विरोध में विश्व हिंदू परिषद थी। विश्व हिंदू परिषद का कहना था कि रामायण को कार्टून की तरह दिखाना ठीक नहीं होगा। जब जापानी ऐंबैसी को इस मामले में लेटर लिखा गया तब यूगो साको ने भरोसा दिलाया कि वो किसी की भावनाओं को आहत नहीं होने देंगे। इसके बाद उन्हें फिल्म बनाने की परमिशन मिली।
बैन करने के पीछे ये रही वजह
इस फिल्म की मेकिंग में लगभग 450 आर्टिस्ट्स ने हिस्सा लिया। रामानंद सागर की रामायण में प्रभु श्री राम का रोल करने वाले अभिनेता अरुण गोविल ने इस फिल्म की हिंदी डबिंग में राम के कैरेक्टर के लिए आवाज दी। इस तरह 1992 में पूरी फिल्म बनकर तैयार हुई और फिर जब फिल्म के रिलीज होने का मौका आया तो इसके कुछ समय पहले ही बाबरी मस्जिद पर विवाद छिड़ गया।
इसी के चलते इस मूवी को भारत में रिलीज नहीं किया गया और तीन साल तक लगातार इस फिल्म पर भारत में बैन लगा रहा और फिर कार्टून नेटवर्क (CN) पर इस फिल्म को दिखाया जाने लगा।