ये क्या! फिल्म प्रमोशन के लिए सारा अली खान ने पहन ली ‘कुली’ नाम की अंगूठी
तब गुड़ के कारोबारी बने थे बिग बी
खबर है कि राजश्री वाले अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) को लेकर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। अमिताभ 47 साल बाद इस बैनर से हाथ मिलाएंगे। अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने राजश्री की ‘सौदागर’ (1973) में काम किया था। नरेंद्रनाथ मित्र की बांग्ला कहानी ‘रस’ पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने गुड़ के कारोबारी का किरदार अदा किया था, जो कारोबारी फायदे के लिए गांव की दो महिलाओं (नूतन, पद्मा खन्ना) से प्रेम संबंध कायम करता है। ‘सौदागर’ के कुछ साल बाद अमिताभ वन मैन इंडस्ट्री के तौर पर उभरे। शायद उनकी सितारा हैसियत ने उन्हें राजश्री से दूर रखा, क्योंकि उस दौर में यह बैनर नए या अपेक्षाकृत सस्ते कलाकारों को लेकर फिल्में बनाता था। इन फिल्मों में कहानी और संगीत पर जोर रहता था। ‘चितचोर’, ‘सावन को आने दो’, ‘तराना’, ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए, ‘अंखियों के झरोखों से’, ‘गीत गाता चल, ‘नदिया के पार’ आदि उसी दौर की फिल्में हैं।
पुरानी फिल्मों की कहानियों को नया रूप
बताने की जरूरत नहीं कि अमिताभ बच्चन को लेकर राजश्री जिस फिल्म की तैयारी में है, वह पारिवारिक ड्रामा होगी। यह बैनर इसी तरह की फिल्में बनाता रहा है। एक दौर में इसकी फिल्में जीरे से बघारी गई दाल जैसी होती थीं। प्याज-लहसुन जैसे तामसी मसाले इन फिल्मों में वर्जित थे। राजश्री की नई फिल्म सूरज बड़जात्या के निर्देशन में बनेगी। सूरज अपने घरेलू बैनर की पुरानी फिल्मों की कहानियों को नया रूप देते रहे हैं। उन्होंने ‘नदिया के पार’ की कहानी ‘हम आपके हैं कौन’ में दोहराई, तो ‘चितचोर’ की कहानी पर ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ बनाई। उनकी पिछली फिल्म ‘राम रतन धन पायो’ (इसमें सलमान खान का डबल रोल था) दक्षिण कोरिया की ‘मैस्करेड’ (स्वांग) से प्रेरित थी।
180 करोड़ में बनी थी ‘राम रतन धन पायो’
अपने दादा ताराचंद बडज़ात्या के दौर की छोटे बजट की फिल्मों से एकदम विपरीत सूरज फिल्म बनाने पर पैसे पानी की तरह बहाते हैं। बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ (1989) दो करोड़ रुपए में बनी थी। दूसरी फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ (1994) का बजट 4.5 करोड़ रुपए था, जबकि 2015 में आई ‘राम रतन धन पायो’ बनाने पर उन्होंने 180 करोड़ रुपए खर्च किए।