अमिताभ की ‘इंकलाब’ से अलग होगा अभिषेक का रोल
उत्तर भारत में फिल्मी सितारों के कदम सियासत में भले लडख़ड़ा जाते हों, पर्दे पर एमएलए से लेकर मुख्यमंत्री तक के किरदार वे तबीयत से अदा करते हैं। फिल्मकार दिनेश विजन ( Dinesh Vijan ) ‘दसवीं’ नाम से एक फिल्म बनाने वाले हैं, जिसमें अभिषेक बच्चन ( Abhishek Bachchan ) भ्रष्ट राजनीतिज्ञ का किरदार अदा करेंगे। यह उस किरदार से एकदम उलट होगा, जो उनके पिता अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) ने ‘इंकलाब’ (1984) में अदा किया था। उस फिल्म में पढ़े-लिखे बेरोजगार अमिताभ कभी सिनेमाघरों के बाहर टिकट और भेलपुरी बेचते थे। सियासत में सक्रिय होकर वे बड़े राजनीतिज्ञ के तौर पर उभरते हैं और सियासत की ‘गंदगी’ साफ करने के लिए रैम्बो की तरह कई भ्रष्ट नेताओं का एक साथ सफाया कर देते हैं। उनके किरदार को ‘अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गया’ के तौर पर प्रचारित किया गया। यह अभिमन्यु फुर्सत में श्रीदेवी के साथ ‘बिच्छू लड़ गया’ पर नाच-गा भी लेता है। कन्नड़ की ‘चक्रव्यूह’ का रीमेक ‘इंकलाब’ कारोबारी मैदान में फिसड्डी साबित हुई थी।
मुधालवन’ का हिन्दी रीमेक ‘नायक’
राजेश खन्ना की ‘आज का एमएलए राम अवतार’ का भी यही हश्र हुआ। इसमें राजेश खन्ना सीधे-सादे देहाती नाई के किरदार में थे, जो लोगों की हजामत करते-करते चालाक राजनीतिज्ञ बन जाता है। तमिल फिल्म ‘मुधालवन’ (अर्जुन, मनीषा कोइराला) के हिन्दी रीमेक ‘नायक’ में मुख्यमंत्री (अमरीश पुरी) की चुनौती कबूल कर अनिल कपूर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बन जाते हैं और एक दिन में ही सिस्टम के तमाम ढीले नट-बोल्ट कस देते हैं। ऐसा कमाल देश में आज तक नहीं हुआ। जिस तरह जहां रवि (सूरज) नहीं पहुंच पाता, वहां कवि पहुंच जाते हैं, उसी तरह जो कहीं नहीं होता, वो फिल्मों में होता है और जरूर होता है।