बिलासपुर

4 दिनों बाद भी टीटीई की नहीं कराई पहचान परेड

बयान दर्ज करने के बाद अब तक अधिकारियों ने तीनों टीटीई को आहत इन्द्रकुमार के समक्ष खड़ा नहीं किया है।

बिलासपुरOct 18, 2018 / 02:05 pm

Amil Shrivas

4 दिनों बाद भी टीटीई की नहीं कराई पहचान परेड

बिलासपुर. दुर्ग नवतनवा एक्सप्रेस से यात्री को फेंकने के मामले में आरोपी टीटीई को बचाने में रेलवे अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जांच का खेल ऐसा है कि घटना के 4 दिन बीतने के बाद भ्भी ट्रेन से गिरकर घायल हुए यात्री केसामने ट्रेन के तीनों टीटीई की पहचान परेड नहीं कराई जा रही है। अधिकारी मामले को दबाने के लिए जांच का हवाला दे रहे हैं। बिलासपुर मंडल के कोतमा स्टेशन के पास बन रहे अंडर ब्रिज में काम करने वाला मजदूर इन्द्र कुमार कश्यप शनिवार 14 अक्टूबर को सुबह साढ़े 8 बजे हरदा से पैसेंजर में अनूपपुर पहुंचा था। वहां से वह पेण्ड्रा आने के लिए दुर्ग नवतनवा एक्सप्रेस की रिजर्वेशन बोगी में चढ़ गया था। ट्रेन में 3 टीटीई उसे मिले और टिकट दिखाने कहा। उसने टीटीई को टिकट दिखाया था। टीटीई ने उसे एक्सप्रेस ट्रेन होने की बात कहते हुए टिकट को पैसेंजर का होने की बात कहकर 800 रुपए मांगे थे।
इन्द्र कुमार ने 200 रुपए होने की जानकारी दी तो टीटीई ने मिलकर उसे ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। ट्रेन से गिरने और दूसरे ट्रेक से आ रही ट्रेन की चपेट में आने से उसके एक पैर में गंभीर चोटें आई थी। घटना के बाद स्टेशन मास्टर और अन्य लोगों ने उपचार के लिए पेण्ड्रा स्थित सेनेटोरियम अस्पताल पहुंचा था। वहां से गंभीर हालत में उसे सिम्स और वहां से अपोलो में भर्ती किया गया था।
बयान दर्ज करने का खेल : घटना के बाद मंगलवार को जांच कर रहे रायपुर मंडल के अधिकारियों ने अपोलो अस्पताल में भर्ती इन्द्र कुमार का बयान दर्ज किया था। उसने अधिकारियों को बताया कि वह टीटीई को देखकर पहचान लेगा, लेकिन उनका नाम नहीं जानता है। बयान दर्ज करने के बाद अब तक अधिकारियों ने तीनों टीटीई को आहत इन्द्रकुमार के समक्ष खड़ा नहीं किया है।

पहले होनी थी एफआईआर : ट्रेन से टीटीई द्वारा फेंकने के मामले में जीआरपी को पीडि़त का बयान दर्ज करने के बाद तत्काल आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज करना था। जांच में यह स्थिति स्पष्ट हो जाती कि यात्री इन्द्रकुमार को चलती ट्रेन से बाहर किसने फेंका था। फिलहाल इस मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
आरपीएफ स्कॉटिंग को करना था सुपुर्द : रेलवे ने टिकट चेक करने वाले टीटीई को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बिना टिकट यात्रा करने वालों को पकड़कर ट्रेन में स्कॉटिंग करने वाले आरपीएफ के जवानों के सुपुर्द करना है। विवाद की स्थिति में टीटीई को विवाद से बचकर आरपीएफ जवानों की मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं। बिना टिकट यात्रा करने के मामले में जुर्माने का प्रावधान है , लेकिन पीडि़त युवक का आरोप है कि टीटीई ने 800 रुपए के लिए उसे ट्रेन से धक्का देकर बाहर फेंक दिया।

पूछताछ तक सीमित : मामले की जांच का हवाला देते नहीं थक रहे रेलवे अधिकारियों की पूरी जांच संदेह के दायरे में है। अधिकारियों ने पीडि़त इन्द्रकुमार का बयान दर्ज किया है जबकि ट्रेन में जिन 3 टीटीई की ड्यूटी लगाई गई थी, उनके न तो बयान दर्ज हुए है और न ही उनकी पहचान परेड कराई गई है।
दुर्ग के हैं तीनों टीटीई : ट्रेन में दुर्ग के 3 टीटीई थे। इनमें 1 सीनियर टीटीई और 2 जूनियर थे। ये तीनों ट्रेन में यात्रियों के टिकटों की जांच कर रहे थे। जोन के आला अधिकारियों ने मामले की जांच का जिम्म्मा भी रायपुर मंडल के अधिकारियों को दे दिया है। रेलवे मामले की निष्पक्ष जांच न करके दुर्ग के तीनों टीटीई को बचाने में रायपुर मंडल के अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

आरपीएफ ने बयान दर्ज किया, जीआरपी ने शिकायत लेकर किया चलता : घटना के बाद एसईसीआर जोन के आला अधिकारियों के आदेश पर जीआरपी ने पीडि़त इन्द्रकुमार का बयान दर्ज किया। बयान की कॉपी जोन के आला अधिकारियों को भ्भेजकर मामले में खानापूर्ति कर ली। घटना के बाद पीडि़त इन्द्रकुमार का ससुर राममिलन पटेल बुधवार को टीटीई के खिलाफ शिकायत लेकर जीआरपी थाना पहुंचा था। जीआरपी ने उससे शिकायत लेकर चलता कर दिया।

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