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बिलासपुर

बिलासपुर संभाग के 650 स्कूलों में एक शिक्षक, 50 में तो हैं ही नहीं, बच्चों की पढ़ाई पर असर…

जबकि 50 से अधिक स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। जहां संकुल से शिक्षकों को भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।

बिलासपुरOct 23, 2023 / 12:54 pm

चंदू निर्मलकर

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बिलासपुर. संभाग में कई ऐसे स्कूल हैं, जो एकल शिक्षकीय हैं। यानी एक स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही है। यह स्थिति तब बनी जब शिक्षकों की पदोन्नति कर पदस्थापना में संशोधन किया गया। बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, मुंगेली जिले में 650 से अधिक स्कूल एकल शिक्षकीय हैं। जबकि 50 से अधिक स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। जहां संकुल से शिक्षकों को भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।
बीते दिनों शासन ने शिक्षक पोस्टिंग में घोटाले की शिकायत में जांच की । मामले को सही पाए जाने के बाद शिक्षक संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया था। वहां के शिक्षकों को पूर्व पदोन्नत संस्था में जाने के लिए तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त कर दिया था। इस वजह से कई स्कूल प्रभावित हुए हैं। इधर 650 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं, जबकि संभाग के 50 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। इन स्कूलों के सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं स्कूल एकल शिक्षकीय होने से सभी को साथ बिठाकर पढ़ाया जा रहा है, क्योंकि एक ही शिक्षक सभी कक्षाओं के बच्चों के एक साथ पढ़ाई करा रहे हैं। इस तरह विद्यार्थियों की पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने शिक्षकों की मांग की थी, तो सभी जगहों पर शिक्षकों को संकुल से भेज दिया गया है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। संभाग भर के बीईओ कार्यालय में कहा जा रहा है कि जिले के स्कूलों के लिए प्रस्ताव बनाकर डीईओ को भेजा गया है। स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर में स्थायी शिक्षकों के लिए मुहर लगेगी। इसके बाद ही शिक्षक वहां परमानेंट पढ़ा सकेंगे।

तिमाही परीक्षा खत्म, फिर भी नहीं हैं पर्याप्त शिक्षक

स्कूलों में विद्यार्थियों की तिमाही परीक्षा खत्म हो चुकी है, लेकिन कई स्कूलों में अब भी एक शिक्षक ही कार्यरत हैं। पालकों ने बताया कि स्कूलों की स्थिति यह है कि कोई भी जाकर पढ़ा रहा है, ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, पर यह भी कब तक होगा। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग को स्कूल खुलने से पहले यह व्यवस्था करनी थी, लेकिन अब तक नहीं हो पाई है।
दिसंबर में होनी है अर्धवार्षिक परीक्षा

दो माह बाद स्कूलों के विद्यार्थियों की अर्धवार्षिक परीक्षाएं होनी है। अगर शिक्षक पर्याप्त संख्या में नहीं भेजे गए तो विद्यार्थियों की पढ़ाई का स्तर गिर सकता है। शुरू में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नहीं मिलने की वजह से बड़ी कक्षाओं में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एक शिक्षक 4 से 5 कक्षाएं ले रहे एक साथ

एक तरफ स्वामी आत्मानंद स्कूलों को चकाचक कर दिया गया है। वहीं शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त हैं, दूसरी तरफ सरकरी हिंदी माध्यम स्कूलों का हाल बुरा है। यहां एक ही शिक्षक 4 से 5 कक्षाओं के बच्चों को एक साथ पढ़ा रहे हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई एक तरह से रामभरोसे ही है। अक्टूबर का महीना चल रहा है पर स्थिति में सरकारी हिन्दी माध्यम स्कूलों में सुधार नहीं हो पा रहा है।
सीधी बात
आरपी आदित्य, संयुक्त संचालक (स्कूल शिक्षा)
संभाग में सैकड़ों स्कूल एकल शिक्षकीय क्यों हैं?
जहां इस तरह है, वहां शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।
कहां से शिक्षक भेजे गए हैं?
बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए संकुल से शिक्षक भेजे गए हैं।
यह तो काम चलाऊ जैसा है?
अभी काम चल रहा है, शासन के निर्देश के बाद निुयक्ति की जाएगी।

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