आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में व्यवस्था सुधार कार्य तो चल रहा है। इसके अंतर्गत साफ-सफाई, वर्षों से ऐसे ही पड़ी दीवारों में लिपाई-पोताई, प्रशाधन का जीर्णोद्धार तो बखूबी हो रहा है, पर बड़ी समस्याओं में से एक सीपेज की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके होने से हॉस्पिटल की दीवारों से लेकर फर्स तक पानी भर जाता है। व्यवस्था सुधार अभियान के तहत हॉस्पिटल बिल्डिंग में जहां सीपेज होता था, वहां बाकायदा पोताई कर इस कमी को ढंक दिया गया था, पर पिछले तीन दिन से रह-रह कर हो रही बारिश ने प्रबंधन के सारे किए कराए पर पानी फेर दिया है।
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पुती-पोताई दीवारों से हाते हुए सीपेज का पानी फर्श तक आने लगा है। बतादें कि इसका सबसे ज्यादा खतरा हॉस्पिटल की दीवारों पर मकड़जाल की तरह लटके बिजली के तारों में पानी पड़ने से है। पहले कई बार ये देखने को मिला कि सीपेज का पानी तारों में पड़ने से शार्ट सर्किट हो गया, तो दूसरी ओर दीवार में करंट फैलने से लोग झटके भी खा चुके हैं। हालांकि इस बात का पता चलते ही तात्कालिक तौर पर तारों को डिस्कनेक्ट कर जानलेवा स्थिति को टाला गया, पर सीपेज को रोकने कोई ठोस कदम न उस समय उठाया गया और न ही अब इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। सीपेज से सबसे सेंसिटिव बर्न वार्ड तक नहीं अछूता सीपेज का असर एमआरडी हाल के गलियारे से लेकर विभिन्न वार्डों तक है। यही नहीं हॉस्पिटल का सबसे सेंसिटिव बर्न यूनिट भी इससे अछूता नहीं है। पिछले दो दिन से हो रही बारिश से ही यहां की दीवारों से लेकर फर्श तक में सीपेज का पानी फैल गया है। जबकि यहां भर्ती मरीजों को किसी भी इन्फेक्शन से दूर रखना होता है। सीपेज के यहां भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने हर समय आशंका बनी हुई है।
सिम्स की हॉस्पिटल बिल्डिंग में सीपेज को रोकने काम जारी है। जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी। – डॉ. सुजीत नायक, एमएस सिम्स
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