उल्लेखनीय है कि पीएससी 2022 की प्रारंभिक परीक्षा में प्रदेशभर से 3095 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इन अभ्यर्थियों ने 15 से 18 जून 2023 में मुख्य परीक्षा दी। इसके परिणाम के आधार पर 625 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू के लिए चयन हुआ। इंटरव्यू 24 अगस्त से 6 सितंबर 2023 तक चला। इसमें 625 की जगह 621 अभ्यर्थी ही साक्षात्कार में शामिल हुए। इसके बाद मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में मिले अंकों के हिसाब से मेरिट लिस्ट जारी की गई है। इस परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर के लिए कुल 15, डीएसपी के लिए 8 और छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी के लिए 4 पद थे। सबसे अधिक नायब तहसीलदार के 70 पद थे। खास बात थी कि आरक्षण रोस्टर की वजह से प्रारंभिक परीक्षा पहले बिना रोस्टर के आयोजित कर ली गई थी। रोस्टर जारी होने के बाद वर्गवार पदों की संख्या जारी की गई।
उत्तर लिखने के बाद भी जांचकर्ताओं ने ध्यान नहीं दिया… याचिकाकर्ता तेजराम नाग ने आंसरशीट डाउनलोड करके देखा तो पाया कि उसे मुख्य परीक्षा में 657 और इंटरव्यू में 71 नम्बर मिलाकर कुल 728 अंक मिले थे। चौथे पेपर के 12 वें नंबर के प्रश्न की जांच ही परीक्षकों ने नहीं की जबकि याचिकाकर्ता ने इसका पूरा आंसर लिखा था । लेकिन बना जांचे परीक्षकों ने नॉट आंसर (एनए) लिख दिया। बड़ी बात रही कि इस कॉपी की जांच तीन स्तर पर परीक्षक, सहायक परीक्षक और मुख्य परीक्षक के द्वारा की गई और सभी ने एनए ही लिखा।
आंसर की जांच न होने से चयनित हुआ अन्य आवेदक तेजराम नाग ने एडवोकेट रोहित शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि दूसरे उम्मीदवारों को उसमें 7 से 10 नंबर दिए गए हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि एक दूसरे उम्मीदवार का 729.5 अंक पाने पर सहायक जेल अधीक्षक के पद पर चयन हुआ है और उस आंसर की जांच होती तो जरूर याचिकाकर्ता के नंबर 728 से अधिक होते। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने सुनवाई के बाद सहायक जेल अधीक्षक का एक पद सुरक्षित रखने का आदेश देते हुए शासन और पीएससी से जवाब मांगा है।