यह भी पढें : Mahadev App :एक्शन मोड में ED, हवाला कनेक्शन में जुबेस्ता अस्पताल संचालक के यहां मारी रेड, कैश और ज्वेलरी की गई बरामद वकील योगेश्वर शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में आपराधिक कानून (छत्तीसगढ़ संशोधन) अधिनियम 2013 के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 की उपधारा बी और 354 आईपीसी में उपधारा ई जोड़कर किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है।
यह भी पढें : टेक-ऑफ़ लेने से पहले अचानक रुक गई फ्लाइट, यात्रियों में मचा हड़कंप, सामने आई ये वजह धारा 354 आईपीसी संसद द्वारा किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ आपराधिक बल के उपयोग और हमले को रोकने के लिए बनाई गई थी क्योंकि इसे मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों के अध्याय 16 में रखा गया है।
यह भी पढें : मौत से पहले सोशल मीडिया में ठेकेदार के खिलाफ कही ये बात, फिर झूल गया फांसी के फंदे पर, परिवार में छाया मातम छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाई गई धारा 354 ई आईपीसी, एक निर्दोष नागरिक को दंडित करती है जिसने धारा ए, बी, सी, और डी 354 आईपीसी के मामलों में शिकायतकर्ता के मानव शरीर पर कुछ भी हानिकारक नहीं किया है, इसलिए ऐसा संशोधन रद्द किया जा सकता है।
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छग सरकार ने आईपीसी की धारा 354 में उपधारा ई जोड़कर महिलाओं संबन्धी अपराधों में ऐसे चश्मदीद गवाहों को दंडात्मक सजा दी है, जिन्होंने आईपीसी की धारा 354 की उपधारा में वर्णित अपराधों को देखा और पुलिस या न्यायालय को सूचित नहीं किया।