इसका मुख्य उद्देश्य जेल को पर्यावरण के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील बनाना है, ताकि आने वाली पीढिंयों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण छोड़ा जा सके। वर्तमान में यहां 3000 कैदी हैं। इनके द्वारा नहाने और एसी-आरओ प्यूरिफायर से वेस्ट के रूप में निकलने वाले पानी का उपयोग सब्जी उगाने और गार्डनिंग के लिए किया जा रहा है। जेल में वर्तमान में 20 केबी का सोलर पैनल है। इससे उत्पादित बिजली से प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक पूरा जेल रोशन हो रहा है।
जेल परिसर बनेगा ऑक्सिजन जनरेटर
बिलासपुर सेंट्रल जेल का परिसर पूरी तरह से हरा-भरा है। इसे अच्छी तरह से उपयोग में लाने के लिए NGO से परिसर के पेड़ पौधों का फ्लोरा-फौना सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे होने के बाद वनस्पति और जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम किया जाएगा। जेल परिसर को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि वो शहर के लिए “ऑक्सिजन जनरेटर” की तरह काम करे। यह भी पढ़ें
Radio Station: महाराष्ट्र की यरवदा जेल की तर्ज पर रायपुर सेंट्रल जेल में शुरू होगा FM स्टेशन, कैदी कर सकेंगे फरमाइश
ग्रीन जेल- हरियाली लाने कैदी कर रहे काम
जेल में हरियाली का विशेष ध्यान रखा गया है। जेल परिसर में स्थित वनस्पतियो और जीवों के संरक्षण के लिए एनजीओ की मदद से सर्वेक्षण किया गया है। सर्वे के आधार पर, वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य यह है कि जेल् परिसर न केवल बंदियों के लिए एक सुधारात्मक स्थान हो, बल्कि यह बिलासपुर शहर के लिए ऑक्सीजन जनरेटर के रूप में कार्य करे। जेल में पर्यावरण को लेकर विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं। नीबू-संतरे के छिलके से हैंडवॉश, पानी का पुन: उपयोग के साथ ही अब 18 एकड़ जेल परिसर के 45 बैरकों के ऊपर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रशासन से बात हुई है। लग जाने से जेल में उपयोग होने के बाद अधिक बिजली उत्पादन को हम बेचकर आय कमा सकते हैं। – खोमेश मंडावी, जेल अधीक्षक
आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु और पर्यावरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय जेल, बिलासपुर को ’इको-फ्रेंडली ग्रीन जेल’ बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह पहल जेल विभाग द्वारा समाज को दिया गया एक सकारात्मक उपहार है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। – हिमांशु गुप्ता, डीजी जेल।