प्रकरण की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी गई है। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि लगभग 200 स्कूल प्रदेश में ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की कमी है। ऐसे स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने के लिए प्रक्रिया की जा रही है। इस पर कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए क्या किया जा रहा, यह बताने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव जिले की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से मुलाकात करने गई थी।
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छात्राओं का कहना था कि बिना शिक्षक के 11 वीं पास कर लेंगे किन्तु 12 वीं की परीक्षा कैसे फाइट करेंगे। छात्राओं की इस जायज मांग पर जिला शिक्षा अधिकारी ने छात्राओं से दुर्व्यवहार करते हुए कहा कि जिंदगी भर जेल में रहोगे तो समझ में आएगा। डीईओ के इस व्यवहार को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने प्रमुखता प्रकाशित किया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। कोर्ट ने मामले में स्कूल शिक्षा सचिव, संचालक स्कूल शिक्षा, कलेक्टर राजनांदगांव एवं डीईओ राजनांदगांव को नोटिस जारी किया है।यहां देखें इससे संबंधित खबरें
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