गुरुवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में केंद्र सरकार ने जो निर्देश नाइट लैंडिंग के संबंध में दिए गए है उन्हें मानने के लिए राज्य सरकार तैयार है। इससे स्पष्ट हो गया कि अब राज्य सरकार सेटेलाइट आधारित पीबीएन टेक्नोलॉजी के आधार पर नाइट लैंडिंग सुविधा की जिद नहीं करेगी।
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एयरपोर्ट की जमीन कोई कृषि भूमि नहीं, दो सप्ताह में करें सीमांकन
सेना के कब्जे वाली ज़मीन एयरपोर्ट को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया लंबित रहने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और जिला प्रशासन के उस पत्र को स्वीकार किया, जिसमें पटवारी हड़ताल और बारिश को सीमांकन ना हो पाने का आधार बनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट की भूमि कोई कृषि भूमि नहीं है और भू राजस्व संहिता के हिसाब से तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी भूमि का सीमांकन कर सकते हैं। कोर्ट ने 29 जुलाई से सीमांकन प्रारभ करने और दो सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने बाउंड्री वाल तोड़ने की अनुमति अभी तक नहीं मिलने पर ब्यूरो ऑफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस भी जारी किया। याचिकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, राज्य सरकार से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता, केंद्र की ओर से रमाकांत मिश्रा ने बहस की।