राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 62 व भारतमालासड़क सहित अन्य लिंक सड़कों पर होने वाले सडक़ हादसों में कई बार संसाधनों का अभाव घायलों की जान ले लेता है। हालांकि सड़क हादसे के बाद मौके पर बड़ी संख्या में युवा, वाहन चालक व पुलिस पहुंच जाती है परन्तु संसाधन उपलब्ध नहीं होने से क्षतिग्रस्त वाहनों में फंसे घायलों को बाहर निकालने में घंटों लग जाते है। कुछ ऐसी ही मजबूरी गुरुवार तड़के भारतमालासड़क पर हुए हादसे में सामने आई।
हादसे में खड़े ट्रेलर के पीछे से ट्रेलर टकराने के बाद दोनों वाहनों में भीषण आग लग गई। हालांकि मौके पर टोल प्लाजा के कार्मिक, पुलिस सहित बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण व वाहन चालक पहुंच गए लेकिन आग की उठती भीषण लपटों में फंसे चालक को नहीं बचाया जा सका। पुलिस लाचार नजरों से आंखों के सामने जिंदा जल रहे चालक को देखती रही।
दमकल का अभाव बन रहा जानलेवा गौरतलब है कि राजमार्ग पर सूरतगढ़ से बीकानेर के बीच करीब 180 किमी क्षेत्र में कहीं भी सडक़ हादसों के वक्त तुरन्त बचाव उपकरण मिल सके ऐसी व्यवस्था नहीं है। लूणकरनसरउपखण्ड मुख्यालय व महाजन उपतहसील प्रशासन के पास भी इन सुविधाओं का टोटा होने से गम्भीर हादसों के वक्त सब लाचार नजर आते है। राजमार्ग पर वाहनों में टक्कर के बाद आग लगने की घटना होने पर दो से तीन घंटे बाद बीकानेर से दमकल पहुंच पाती है। गुरुवार को भी भारतमालासड़क पर हुए हादसे में सूरतगढ़ थर्मल से दमकल को पहुंचने में दो घंटे लग गए। जिससे दोनों वाहन जहां पूर्ण रूप से जलकर खाक हो गए वहीं एक चालक की आंखों के सामने देखते देखते आग की भेंट चढ़ गया।
कई बार सामने आ चुकी है लाचारी- करीब पांच साल पहले राजमार्ग पर उपतहसील कार्यालय के सामने दो ट्रकों की टक्कर के बाद लगी आग में चार व्यक्ति जिंदा जल गये थे। बीकानेर से दमकल पहुंचने में करीब दो से ढाई घण्टे का समय लगा। तब तक पुलिस व प्रशासन के पास लाचारी के सिवाय कुछ नहीं था। इसी प्रकार दो वर्ष पूर्व 22 अप्रेल को राजमार्ग पर मोखमपुरा के पास कैमिकल से भरा एक टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया एवं उसमें आग लग गई। मौके पर महाजन पुलिस व बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। परन्तु आग बुझाने के संसाधन नहीं होने के कारण करीब 6 घण्टे तक राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित रहा। महाजन-अरजनसर के बीच अनियंत्रित होकर पेड़ से टकराई कार में चालक व उसकी सास फंस गए। मौके पर बड़ी तादाद में लोगों की भीड़ जुट गई। स्थानीय पुलिस प्रशासन भी पहुंच गया। परन्तु गैस कटर, टोचन व कार के खिड़कियांतोडऩे के कोई उपकरण उपलब्ध नहीं होने से सब बेबस दिखाई दिए। करीब एक घण्टा तक कार में फंसे रहने के कारण चालक की मौत हो गई। अगर एम्बुलेंस या अन्य चिकित्सा सुविधा कार में फंसे चालक को मौके पर मिलती तो शायद जान बच जाती। इस बारे में ना तो प्रशासन सजग दिखाई दे रहा और ना ही जनप्रतिनिधि। इतने बड़े क्षेत्र में कम से कम दो-तीन अतिरिक्त एम्बुलेंस, दमकल, क्रेन, प्रत्येक पुलिस थाने में गैस कटर, टोचन आदि उपलब्ध होने चाहिए। ताकि गम्भीर हादसों के वक्त किसी का मूंह नहीं ताकना पड़े। महाजन, अरजनसर जैसे बड़े कस्बों में युवा संगठनों की भी महत्ती आवश्यकता महसूस हो रही है जो ऐसी विपदा के वक्त मौके पर पहुंचकर मदद को हाथ बढ़ा सके।