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बीकानेर

डरी नहीं, डटी रहीं…धीरे-धीरे मां से गुरु मां बन गईं अर्पिता

मदर्स डे विशेष: गुरुकुल पद्धति से निजी खर्च पर स्थापित किया चैरिटेबल स्कूल। करीब 5 हजार से ज्यादा बच्चों और महिलाओं की जिंदगी संवार चुकी हैं गुरु मां।

बीकानेरMay 12, 2024 / 11:52 pm

dinesh kumar swami

बीकानेर. जो तूफानों में पलते हैं, वही दुनिया बदलते हैं…यह कहना है बीकानेर शहर की डॉ. अर्पिता गुप्ता का। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गुप्ता ने आर्थिक धमाचौकड़ी के मौजूदा युग में गुरुकुल पद्धति से अपने निजी खर्च पर चैरिटेबल स्कूल की स्थापना की और अब उसे संचालित कर रही हैं। इसमें वह गरीब परिवारों के बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी भरने का काम कर रही हैं।
डॉ. गुप्ता कच्ची बस्ती के बच्चों को पिछले 9 साल से नि:शुल्क पढ़ा रही हैं। साथ ही महिलाओं के हुनर को तराश कर उन्हें रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही हैं। इससे दो बच्चों की मां अर्पिता की पहचान जरूरतमंद बच्चों की गुरु मां के रूप में बनी हैं।
डॉ. गुप्ता कहती हैं कि समाज में अगर कुछ अलग करना है, तो डरो नहीं…डटे रहो। सामाजिक रूप से कुछ करने की सोच रखने वाले सामने आने वाली चुनौतियों की परवाह किए बिना शुरुआत कर देते हैं। गुप्ता ने बताया कि कोरोना महामारी में जब स्कूल बंद हो गए, तब भी इन गरीब परिवारों के बच्चों की पढ़ाई रुकने नहीं दी। नि:शुल्क ऑनलाइन कक्षाओं की उनके लिए व्यवस्था की। अब तक 5000 से अधिक बच्चों व महिलाओं को शिक्षित करने, रोजगार दिलाने, बालश्रम से मुक्त कराने का कार्य कर चुकी हैं।

जिले से अंतरराष्ट्रीय स्तर के 95 सम्मान

महिला स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए सेवाओं पर उन्हें जिला, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने 95 से ज्यादा बार सम्मानित किया है। डॉ.गुप्ता ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान उनकी बेटी महक व बेटा तनय का उनके कार्य पर गर्व करने से मिलता हैं। दोनों बच्चे सेवाभाव को समझते हैं, साथ ही सहयोग भी देते हैं।

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