जानकारी के मुताबिक, बीकानेर रोडवेज आगार में करीब 508 कर्मचारी हैं, जिसमें से 145 चालक, 108 परिचालक, 255 अन्य कर्मचारी हैं। प्रदेश के सात संभाग में से जयपुर, भरतपुर, जोधपुर व कोटा संभाग के कर्मचारियों को वेतन मिल चुका है, जबकि बीकानेर सहित उदयपुर व अजमेर संभाग के कर्मचारी वेतन का इंतजार कर रहे हैं। एक कर्मचारी ने दबी जुबान में बताया कि रोडवेज को नि:शुल्क व टिकट में रियायत का सरकार की ओर से भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे वेतन भुगतान में दिक्कत हो रही है।
33 रुपए इनकम चाहिए, कर्मचारियों की चिंता नहीं
रोडवेज प्रबंधन एवं सरकार को प्रतिदिन 33 रुपए इनकम चाहिए, लेकिन कर्मचारियों की सुविधा एवं समस्या का जरा भी ध्यान वहीं है। पशु परिचर भर्ती में चालक-परिचालक ने तीन दिन लगातार बसों में सफर किया। रोडवेज 33 रुपए इनकम तो मांग रहा है, लेकिन नि:शुल्क व रियायत वाली सवारियों को इनकम में जोड़ नहीं रहा। ऐसे में बसों की इनकम आ नहीं रही है। केवल ठेके वाली और लंबी दूरी वाली गाड़ियों में ही 33 रुपए इनकम आ रही है। वेतन और आराम नहीं, तो काम नहीं
बीकानेर रोडवेज कर्मचारियों ने मुख्य प्रबंधक से मिल कर वेतन की गुहार लगाई है। कर्मचारियों का कहना है कि बिना वेतन और वीकली ऑफ काम कर रहे हैं। वेतन नहीं मिलने से कर्जदार हो रहे हैं। घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
रोडवेज कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रोडवेज के एमडी पुरुषोत्तम शर्मा से मिलकर वेतन की गुहार लगाई है। साथ ही वीकली ऑफ की व्यवस्था को अच्छे से बहाल कराने का आग्रह किया है। प्रतिनिधिमंडल में राजस्थान पथ परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फैडरेशन के शाखा अध्यक्ष गजेंद्र सिंह, सचिव ओमप्रकाश सिद्ध, पदाधिकारी धर्मपाल नाथ, महेश राजपुरोहित, सुशील बिश्नोई शामिल थे।