एक शताब्दी प्राचीन मंदिर मंदिर व्यवस्थापक श्याम सुंदर किराडू के अनुसार श्री लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा 102 साल प्राचीन है। पंडित पीरूदान किराडू की ओर से इस प्रतिमा की स्थापना की गई थी। सफेद संगमरमर से बनी इस प्रतिमा में भगवान गणेश की गोद में मां लक्ष्मी विराजमान है। धन, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि और मनवांछित फल की कामना को लेकर उपासक श्री लक्ष्मी गणेश की पूजा-अर्चना करते है। यहां गणेश चतुर्थी पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 31 अगस्त 2022 को प्रतिमा स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया गया था।
द्विदंती, त्रिनेत्र और चर्तुभुजी श्री लक्ष्मी गणेश मंदिर में स्थापित भगवान लंबोदर की प्रतिमा कमल पुष्प पर विराजमान है। भगवान गणेश के दायी सूंड है। दो दांत है। त्रिनेत्र है। गणेश चर्तुभुजी है। एक हाथ में माला, दूसरे में फरसा, तीसरे में मोदक और चौथे में कमल पुष्प है। गले में सर्प है। लंबे कान है।
वृंदावन की पोशाक व पिछवाई से श्रृंगार श्री लक्ष्मी गणेश का विशेष श्रृंगार वृंदावन में तैयार होने वाली पोशाक और पिछवाई से होता है। श्याम सुंदर किराडू के अनुसार भगवान गणेश के लिए वृंदावन से विशेष प्रकार की पोशाक तैयार करवाई जाती है। पोशाक के रंग चटकीले, चमकीले होने के साथ बारीक कारीगरी का कार्य पोशाक पर होता है। इसी प्रकार पिछवाई भी कलात्मक रूप से बनवाई जाती है।