बीकानेर

चुनावी किस्साः जब अखबार में छप गया, प्रिय महबूब जहां कहीं हो चले आओ…कोई कुछ नहीं कहेगा

मेहबूब अली के बीकानेर के चुनावी मैदान में नहीं होने के कारण उनके मित्रों ने एक स्थानीय समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित करा दिया। विज्ञापन का मजमून यह था कि प्रिय मेहबूब, तुम जहां कहीं भी हो, लौट कर चले आओ। कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा।

बीकानेरOct 11, 2023 / 03:09 am

Brijesh Singh

चुनावी किस्साः जब अखबार में छप गया, प्रिय महबूब जहां कहीं हो चले आओ…कोई कुछ नहीं कहेगा

बीकानेर. बात 1993 के विधानसभा चुनाव की है। कांग्रेस से डॉ. बीडी कल्ला, भाजपा से नंदलाल व्यास तथा जनता दल से मक्खन जोशी चुनाव मैदान में थे। जबकि मेहबूब अली 1977 में बीकानेर से एक बार विधायक चुने जाने के बाद भी चुनावी परिदृश्य से गायब थे। उन्होंने जैसलमेर से सर्वोदय पार्टी से पर्चा भरा। मेहबूब अली के बीकानेर के चुनावी मैदान में नहीं होने के कारण उनके मित्रों ने एक स्थानीय समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित करा दिया। विज्ञापन का मजमून यह था कि प्रिय मेहबूब, तुम जहां कहीं भी हो, लौट कर चले आओ। कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा। तुम्हारे बिना चुनावी परिदृश्य उदास है।इस विज्ञापन में मेहबूब अली के मित्र साहित्यकार डॉ. नंदकिशोर आचार्य, एडवोकेट दाऊलाल पुरोहित तथा कांग्रेस नेता उमेश आचार्य के नाम थे और सौजन्य में दीपचंद सांखला का नाम था। इस विज्ञापन के प्रकाशित होने के बाद मेहबूब अली सांखला के प्रति अपना गुस्सा जताते हुए नाराज हो गए थे। हालांकि, तीनों मित्रों से उनका मिलना-जुलना जारी रहा।

विधानसभा चुनाव 1977 में मेहबूब अली के साथ मक्खन जोशी हर वक्त रहते थे और उन्होंने उनके चुनाव संचालन का जिम्मा संभाला था। मेहबूब अली की जीत के बाद मक्खन जोशी को नगर विकास न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार पांच साल तक नहीं चली। विधानसभा चुनाव 1993 में जब मक्खन जोशी जनता दल से चुनाव मैदान में थे, तो मेहबूब अली इस चुनाव के दौरान उनके साथ नहीं रहे। इन चुनावों में बीकानेर शहरी विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा का प्रत्याशी विजयी रहा।

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