दूध, फीणी और घेवर की बिक्री सर्दी प्रारंभ होते ही शहर में जगह-जगह केसर, मलाईयुक्त दूध की कडाहियां लगनी प्रारंभ हो गई हैं। रात्रि में लोग गर्म दूध का उपयोग कर रहे हैं। घरों में भी केसर-दूध का उपयोग परिवारजन कर रहे हैं। वहीं गर्म घेवर और रबड़ी घेवर खान-पान में शामिल हो चुका है। लोग दूध-फीणी तथा घेवर-दूध का भी उपयोग कर रहे हैं। दाल पकौड़े, चाशनी लगे गर्म घेवर की भी मांग बढ़ी है।
तिल, मूंगफली से बनी वस्तुओं का उपयोग सर्दी से बचाव में तिल, गुड़ व चीनी से बनी खाद्य वस्तुए अधिक कारगर है। घरों में लोग तिल, घी, गुड़, चीनी से बनी तिलपट्टी, तिल चिकी, तिल लड्डू, गजक आदि का उपयोग कर रहे है। वहीं घरों के साथ बाजारों, दुकानों, चौक-चौराहों पर मूंगफली खाने का भी आनंद लोग ले रहे हैं।
इस सीजन की सबसे सर्द रात शुक्रवार की रात इस सीजन की अब तक की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई है। दीपावली के बाद न्यूनतम तापमान में नियमित रूप से गिरावट होनी शुरू हो गई थी, लेकिन सबसे ज्यादा गिरावट का सिलसिला नवंबर में ही रहा। शनिवार को न्यूनतम तापमान 12.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि इससे एक दिन पहले 12.5 डिग्री सेल्सियस रहा था।मौसम विभाग का अनुमान है कि आगामी दिनों में सर्दी और तल्खी के साथ अपना असर दिखाना शुरू करेगी। इससे रात के साथ दिन के तापमान में भी गिरावट होने की संभावना है। गौरतलब है कि इस बार पूरे अंचल में ही आमतौर पर हर साल के मुकाबले कुछ देर से सर्दी का आगमन हुआ है। शुक्रवार को इसका अहसास हुआ। सर्दी की दस्तक देते ही बाजार में गर्म पदार्थों की दुकानें सज गई हैं। एक दुकान के काउंटर पर सजे घेवर तथा एक अन्य दुकान पर रखे सूखे मेवे।