बीकानेर रियासत में बीकानेर नगर पालिका अधिनियम पारित होने के बाद म्युनिसिपल कमेटी का नाम म्युनिसिपल बोर्ड रखा गया। सदस्यों की संख्या भी 21 से बढ़ाकर 40 की गई। इसमें 15 सदस्यों के मनोनयन और 25 सदस्य चुनाव के माध्यम से चुने जाने का प्रावधान रखा गया। नगर निगम की स्मारिका ‘नगर एक नजारे अनेकÓ में उल्लेखित जानकारी के अनुसार रियासतकाल में म्युनिसिपल कमेटी व म्युनिसिपल बोर्ड में अध्यक्ष राज्य की ओर से मनोनीत किया जाता था।
पहले तीन वर्ष था बोर्ड का कार्यकाल
देश की आजादी के बाद निर्वाचित हुए नगर पालिका बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष होता था। यह व्यवस्था 1970 तक हुए चुनावों तक कायम रही। वर्ष १1972 से 1993 तक स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं हुए। वर्ष 1994 में हुए चुनाव में गठित बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया। यह व्यवस्था वर्तमान में भी लागू है।
देश की आजादी के बाद निर्वाचित हुए नगर पालिका बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष होता था। यह व्यवस्था 1970 तक हुए चुनावों तक कायम रही। वर्ष १1972 से 1993 तक स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं हुए। वर्ष 1994 में हुए चुनाव में गठित बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया। यह व्यवस्था वर्तमान में भी लागू है।
बीकानेर रियासत में थी छह नगर पालिकाएं
बीकानेर राज्य के भारतीय गणतंत्र में विलय से पहले बीकानेर म्युनिसिपल बोर्ड के अलावा राज्य में विभिन्न नगरों तथा कस्बों में 26 नगर पालिकाएं थी।’नगर एक नजारे अनेकÓ में संकलन कार्य से जुडे श्याम नारायण रंगा ने बताया कि विलय के समय बीकानेर जिले में बीकानेर, गंगाशहर, भीनासर, लूणकरनसर, नोखा तथा नापासर में नगर पालिकाएं कार्यरत थी। गंगाशहर नगर पालिका 1939 में, नापासर में नगर पालिका 1941 में तथा नोखा, लूणकनसर, भीनासर नगर पालिकाएं 1942-43में गठित की गई थी।
बीकानेर राज्य के भारतीय गणतंत्र में विलय से पहले बीकानेर म्युनिसिपल बोर्ड के अलावा राज्य में विभिन्न नगरों तथा कस्बों में 26 नगर पालिकाएं थी।’नगर एक नजारे अनेकÓ में संकलन कार्य से जुडे श्याम नारायण रंगा ने बताया कि विलय के समय बीकानेर जिले में बीकानेर, गंगाशहर, भीनासर, लूणकरनसर, नोखा तथा नापासर में नगर पालिकाएं कार्यरत थी। गंगाशहर नगर पालिका 1939 में, नापासर में नगर पालिका 1941 में तथा नोखा, लूणकनसर, भीनासर नगर पालिकाएं 1942-43में गठित की गई थी।
21 सदस्यों से हुए80पार्षद
म्युनिसिपल सेवाओं को लेकर गठित हुई कमेटी व बोर्ड में समय -समय पर सदस्यों की संख्या बढ़ती रही। कमेटी में जहां 21 सदस्य थे, वहीं म्युनिसिपल बोर्ड में इनकी संख्या 40 हो गई। देश की आजादी के बाद से अब तक पार्षदों की संख्या में बढ़ोतरी होने का क्रम जारी है। पहले पार्षदों की संख्या 40 से बढ़ाकर 55 की गई। वहीं बाद में इसे बढ़ाकर 60 किया गया। इसी वर्ष हुए वार्डों के परिसीमन में पार्षदों की संख्या 60 से बढ़कर 80 हो गई है।
म्युनिसिपल सेवाओं को लेकर गठित हुई कमेटी व बोर्ड में समय -समय पर सदस्यों की संख्या बढ़ती रही। कमेटी में जहां 21 सदस्य थे, वहीं म्युनिसिपल बोर्ड में इनकी संख्या 40 हो गई। देश की आजादी के बाद से अब तक पार्षदों की संख्या में बढ़ोतरी होने का क्रम जारी है। पहले पार्षदों की संख्या 40 से बढ़ाकर 55 की गई। वहीं बाद में इसे बढ़ाकर 60 किया गया। इसी वर्ष हुए वार्डों के परिसीमन में पार्षदों की संख्या 60 से बढ़कर 80 हो गई है।