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बीकानेर

बोरवेल में निकले मीठे पानी के बाद अब चट्टानों के नीचे तेल-गैस की उम्मीद

नाल और सालासर गांव के पास दो जगह ओएनजीसी की ओर से बोरवेल खुदाई जारी, 870 मीटर गहराई तक जमीन में छेद करने के बाद सख्त चट्टानों को तोड़कर डि्रलिंग।

बीकानेरJan 31, 2024 / 05:13 pm

dinesh kumar swami

बोरवेल खुदाई (डि्रलिंग)

ओएनजीसी ने बीकानेर-जैसलमेर हाइवे एनएच 11 से सटे नाल गांव और सालासर गांव की रोही में एक महीने पहले तेल और गैस निकालने की लिए जमीन में बोरवेल खुदाई (डि्रलिंग) शुरू की। अभी तक 870 मीटर गहराई तक खुदाई हो पाई है। इसमें मीठे पानी की दो लेयर 150 मीटर और 330 मीटर पर मिली है।

भूगर्भ में अधिकांश जगह खारे पानी वाले इस इलाके में मीठा पानी मिलने को लोग घर बैठे गंगा आना संबोधित कर स्वागत कर रहे हैं। वहीं अब गहराई में सख्त चट्टानें आ गई हैं।

ऐसे में डि्रलिंग के साथ पानी डालकर उसमें घोलकर मिट्टी आदि बाहर निकालने का कार्य अब कुछ धीमा हो गया है। फिर भी इंजीनियर इस बात को लेकर उत्साहित हैं कि सख्त चट्टानों के नीचे कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार हैं।

ओएनजीसी ने 2 डी व 3 डी भूकम्प सर्वे के बाद तीन स्थान बोरवेल डि्रल (तेल का कुआं) खुदाई के लिए तय किए थे। इनमें से दो स्थानों पर गत 26 दिसम्बर को डि्रलिंग का कार्य शुरू किया गया।

नाल क्षेत्र के बोरवेल में खुदाई के दौरान 150 मीटर पर पहली बार पानी निकला। मिट्टी मिले इस पानी को बाहर निकालकर जांच के लिए लैब भेजा गया है। इसके बाद फिर सख्त चट्टान आ गई और 330 मीटर पर फिर एक बार मीठा पानी निकला है। इसकी भी लैब में जांच की जा चुकी है। दूसरी जगह सालासर के पास अभी खुदाई कार्य ज्यादा नहीं हुआ है। तीसरा स्थान नाल बड़ी की रोही में ही है।

यह है रिपोर्ट में

– बीकानेर से करीब 15 किलोमीटर दूर नाल बड़ी गांव की रोही में 1527 मीटर गहराई तक डि्रल की जानी है। अभी यहां 870 मीटर तक डि्रल की जा चुकी है। अनुमान है कि इसके नीचे आई सख्त चट्टानों को तोड़ने के बाद करीब एक हजार मीटर पर तेल-गैस मिलेगी।

– कोलायत तहसील के सालासर गांव की रोही में 1522 मीटर गहराई तक तक डि्रल करने का कार्य चल रहा है। इसमें 900 मीटर की गहराई के बाद तेल और गैस के भंडार होने के संकेत है।

क्रूड ऑयल के साथ लीथियम, हीलियम और हाईड्रोजन भी

बीकानेर-नागौर बेसिन के इस 2118 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस के साथ ओएनजीसी के अधिकारियों ने भूगर्भ में लीथियम, हीलियम और हाईड्रोजन भी प्रचूर मात्रा में होने की बात कही है।

अभी डि्रलिंग कार्य 40 से 45 दिन चलेगा। इसमें 1500 मीटर से ज्यादा गहराई तक खुदाई के साथ ही स्पष्ट हो जाएगा कि कितने मीटर की गहराई पर कौन-कौन से उत्पाद हैं।

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