80 आरोपियों को किया था गिरफ्तार साथ ही 100-150 अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी। घटना में शामिल 80 उपद्रवियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस घटना में लगभग 13 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। वहीं, अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिस इस मामले में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा करने के आरोप में गिरफ्तार 36 अरोपियों की जमानत प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव पांडे ने शर्तों के साथ मंजूर कर ली है। इस मामले में बुधवार को आरोपियों की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई थी।
शर्तों के साथ मंजूर की जमानत न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों की जमानत शर्तों के साथ मंजूर की है। कोर्ट ने 40-40 हजार के दो जमानती और इतनी ही राशि का निजी मुचलका दाखिल करने पर उन्हें जमानत देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेशों की शर्तों में लिखा है कि सभी आरोपी भविष्य में इस तरह के मामले की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे। साथ ही उनको गवाहों को प्रभावित नहीं करने का आदेश भी दिया गया है। कोर्ट ने बुधवार को इकरामुद्दीन, आरिफ, आमिर, इरशाद, राशिद, इसरार, अनस, एजाज, सेफअली, साकिर, रईस, नबील, दानिश, सलीम, फरहान अयूब, शाहरुख, साहिब, फियाज, शाहबाज, गुलफान, राशिद, फईम, अनस, नासिर, दिलशाद, शुऐब, शादाब, मेहताब, मोहम्मद जाहिल सहित 36 आरोपियों को जमानत दी गई है। आरोपियों के अधिवक्ता नफीस अहमद और सोहेल का कहना है कि पुलिस इसमें कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। इस वजह से उनको जमानत मिल गई है।
इससे पहले दो को मिली थी जमानत बता दें कि 24 जनवरी को भी जिला एवं सत्र न्यायालय ने दो आरोपियों शफीक अहमद और इमरान को जमानत दी थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में पुलिस पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई थी। इसको लेकर कोर्ट ने पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर भी सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ऐसा कोई भी सबूत पेश नहीं पाई है, जिससे यह साबित हो कि ये दोनों हिंसा में शामिल थे।