इसके बाद अब तक जिले में 187 बच्चे मलेरिया पॉजिटिव पाए गए है। जिसमें कुछ का अस्पताल में तो कुछ का आश्रम और हॉस्टल में इलाज जारी है। इसको लेकर सियासत भी शुरू हो गई है पूर्व सीएम भूपेश बघेल में ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया है।
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सबसे ज्यादा चेरपाल पोटाकेबिन प्रभावित
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक चेरपाल पोटाकेबिन में 57 बच्चे, गंगालूर पोटाकेबिन में 22 बच्चे, बालक आश्रम पोगला में 17 बच्चे , बालक आश्रम तामोड़ी में 25 बच्चे, कन्या आश्रम गंगालूर में 4 बच्चे और अन्य आश्रम शालाओं में मलेरिया पॉजिटिव हैं।अस्पताल और आश्रम में इलाज: बीएमओ
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गांगलूर में 22 बच्चों का इलाज चल रहा है वही बाकी बच्चों को आश्रम में रख कर इलाज किया जा रहा है। बीएमओ-विकास गवेल ने बताया कि अभी तक 24 आश्रमों की मेडिकल जांच की गई है। जिसमें अब तक 187 बच्चे मलेरिया पॉजीटिव पाए गए हैं। 22 बच्चों का गंगालूर हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है और वहीं बाकी बच्चों को आश्रमों में रखकर इलाज कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा – मौसमी बीमारियों की रोकथाम और बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाएं। स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड पर रहे, ताकि स्वास्थ्य शिविर लगाकर प्रभावितों का उपचार सुनिश्चित हो सकें। स्वास्थ्य केंद्रों में सभी आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं का पर्याप्त भण्डारण हो।
जनवरी 2020 से जून 2024 तक बस्तर में मलेरिया के प्रकोप को दर्शाने वाला डेटा चार्ट यहां दिया गया है। चार्ट इस अवधि में हर महीने रिपोर्ट किए गए मलेरिया के मामलों की संख्या में रुझान दिखाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा – यह विशुद्ध रूप से भाजपा सरकार की लापरवाही है कि पोटाकेबिन में बच्चे मलेरिया से जान गंवा रहे हैं। कांग्रेस का बेशक विरोध कीजिए, लेकिन कांग्रेस सरकार की अच्छी योजनाओं पर राजनीति करना जनहित में नहीं है। हमारी सरकार ने बस्तर को मलेरिया मुक्त करने के लिए अभियान चलाया था।