एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, जवानी में भुलक्कड़ होना तनाव और मल्टीटास्किंग का नतीजा है। अशुद्ध भोजन, टेंशन और ज्यादा स्क्रीन टाइम दिमाग की नसों में तनाव बढ़ा रहा है। इससे कम उम्र में ब्रेन स्ट्रोक और भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है।
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-परीक्षा की तैयारी के लिए ख़ूब पढ़ाई की, पर पर्चे का जवाब लिखने बैठे तो आधा भूल गए।
-कभी कोई बहुत दिन बाद मिला, तो उस का नाम ही याद नहीं आता।
-एक कमरे से उठकर दूसरे कमरे में किसी काम से गए लेकिन, वहां पहुंचकर भूल गए कि किस काम के लिए आए थे।
ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान!
-कुछ इस तरह के लक्षण कुछ चीजें खरीदने बाजार जाते हैं, पर वहां जाकर भूल जाते हैं कि क्या लेना है।-परीक्षा की तैयारी के लिए ख़ूब पढ़ाई की, पर पर्चे का जवाब लिखने बैठे तो आधा भूल गए।
-कभी कोई बहुत दिन बाद मिला, तो उस का नाम ही याद नहीं आता।
-एक कमरे से उठकर दूसरे कमरे में किसी काम से गए लेकिन, वहां पहुंचकर भूल गए कि किस काम के लिए आए थे।
केस-1
राजधानी के बड़े संस्थान के एक अफसर 40 की उम्र में डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। 24 घंटे काम के बारे में सोचते हैं। वे अकेले रहते हैं, इसलिए उन्हें बूढ़ों की बीमारी ने घेर लिया।केस-2
भोपाल की एक आइटी कंपनी में कार्यरत 41 वर्षीय सिंगल मदर घर-परिवार के साथ ऑफिस के कार्य में व्यस्त रहती हैं। कई बार ऑफिस के लिए निकलती हैं तो बेटे के स्कूल पहुंच जाती हैं। यह भी पढ़ें- विदेश जाने की सोच रहे हैं तो सावधान! लौटकर आए युवाओं ने बताई खौफनाक कहानी