bell-icon-header
भोपाल

सड़कों के काम को एक छत के नीचे लाने के वादों पर अमल क्यों नहीं

बड़ा सवाल: सीपीए के पास सड़कों का जिम्मा क्यों, जब संभाल नहीं सकते सूबे की सबसे महत्वपूर्ण वल्लभ भवन के सामने की सड़क
 

भोपालAug 19, 2021 / 01:36 am

Rohit verma

सड़कों के काम को एक छत के नीचे लाने के वादों पर अमल क्यों नहीं

भोपाल. बारिश ने सड़कों की पोल खोल दी। प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण वल्लभ भवन के सामने की सड़क बेहाल है, धूल के गुबार हैं। शहर की सड़कों को संभालने वाला राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) ही इसे नहीं संभाल सका। इस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव तक नाराज हो चुके हैं। नतीजा ये कि यह सड़क अब पेंचवर्क के हवाले है, जिसकी गुणवत्ता भी संदिग्ध है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सीपीए के पास सड़कों की जिम्मेदारी क्यों हैं?
वल्लभ भवन के सामने की सड़क प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण इसलिए मानी जाती है, क्योंकि इसी सड़क के किनारे स्थित सरकारी भवनों में पूरी सरकार रहती है। वल्लभ-भवन में सीएम, सीएस से लेकर सभी विभागों के प्रमुख सचिव बैठते हैं। इसी सड़क पर विंध्याचल और सतपुड़ा भवन हैं, जहां सभी सचिवालय लगते हैं। यही सड़क विधानसभा तक जाती है और आगे फिर यही सड़क राजभवन तक पहुंचती है। हर दिन इसी सड़क पर सीएम, सीएस, मंत्री और आईएएस अफसर गुजरते हैं। बीते 15 दिन से ये सभी धूल के गुबार देखते हुए गुजर रहे हैं।
बदलाव जरूरी
जरूरत है कि शहरों की सड़कें नगरीय प्रशासन, वहीं गांव की ग्रामीण विकास व बाकी पीडब्ल्यूडी के पास हो। सीपीए के पास लोनिवि के मुकाबले तकनीकी स्टॉफ तक नहीं है। ऐसे में उसे बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी जाए। हकीकत ये है कि हल्की बारिश ने ही सड़कों पर ठेकेदारों से गठजोड़ के गड्ढे उजागर कर दिए हैं।
मंत्री को अफसरों को बुलाना पड़ा
भोपाल जिले के प्रभारी मंत्री रहते हुए गोपाल भार्गव ने कहा कि भोपाल में हर सड़क पर बोर्ड लगाया जाए कि कौन सी सड़क किस विभाग के तहत है, किस ठेकेदार ने बनाई है और कितने की बनी है। लेकिन, इस पर अमल रस्म-अदायगी रहा। वल्लभ-भवन की सड़क के विभाग के बारे में जानने के लिए ही मंत्री को अफसरों को बुलाना पड़ गया। इसके बाद अब यह मामला तूल पकड़ रहा है कि सभी सड़कों का संचालन एक ही कंट्रेलिंग एजेंसी के माध्यम से क्यों नहीं हो। पूर्व में इसका प्रस्ताव कई मंत्री दे चुके हैं।
गठजोड़ के गड्ढे…
दरअसल, सड़कों के गड्ढे अफसर-नेता और ठेकेदारों के गठजोड़ से उभरे हैं। सड़कों के निर्माण में जब-तब भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हंै, लेकिन इन्हें अनदेखा किया जाता रहा है। राजधानी की सड़कें ही बेहद खराब हाल में हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भोपाल टॉकीज के समीप का भोपाल की सड़क का गड्ढों भरा फोटो ट्वीट किया था, जिसके बाद उस सड़क की मरम्मत की गई। ऐसी अनेक सड़कें हैं।
लेकिन, ठेकेदारों पर कार्रवाई की बजाए पेंचवर्क के जरिए मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। अकेले लोक निर्माण विभाग में औसत 850 करोड़ रुपए सालना इस पर खर्च किए जाते हैं। सड़कों के गड़बड़झाले के कारण ही आधा दर्जन से ज्यादा विभाग व एजेंसियां सड़क निर्माण में लगी हैं।
मंत्री बोले…
वल्लभ भवन के सामने वाली सड़क का हमने पता कराया था, वह हमारे विभाग में नहीं आती है। वह सीपीए के तहत हंै। लोक निर्माण विभाग की सड़कें ज्यादा खराब नहीं है। जहां बारिश से नुकसान हुआ है, वहां मरम्मत का काम चल रहा है। हम हर सड़क की जानकारी भी एकत्र कर रहे हैं।
गोपाल भार्गव, मंत्री, लोक निर्माण विभाग

Hindi News / Bhopal / सड़कों के काम को एक छत के नीचे लाने के वादों पर अमल क्यों नहीं

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.