सीन-1,रोशनपुरा पर दोपहर बारह बजे एक लग्जरी कार रुकी, इत्तेफाक से उसके आगे की विंडो के कांच खुले थे। एक महिला और एक बच्ची उस विंडो से कार में झांकने लगे। जब कार वाले ने मना किया तो महिला ने कांच पर हाथ रख लिया। लड़की ने भी गेट को नहीं छोड़ा, कार बाले को रुपए देकर ही उनसे पीछा छुड़ाना पड़ा।
सीन-2, ऐसे ही एक बुजुर्ग महिला ने बाइक रुकते ही उस पर बैठे युवा की तरफ उंगली से इशारा करते हुए उसे अपनी भाषा में कुछ कहा। ग्रीन सिग्नल होने के बाद जब बाइक सवार ने बाइक आगे बढ़ाई तो बुजुर्ग ने बाइक का हेंडल पकड़ लिया। चालक को रुपए देकर ही पीछा छुड़ाना पड़ा।
ऐसे कर सकते हैं इनका विकास
– दिल्ली सरकार ने भिखारियों की संख्या बढ़ते देख इनको कौशल विकास से जोड़ा। पहले 50 भिखारियों का चयन कर उन्हें रंगाई, पुताई या जो वह काम जानते थे उससे जोड़ा। इसी प्रकार महिलाओं को सिलाई कढ़ाई के काम से जोड़कर उनके लिए रोजगार के दरवाजे खोले।- कर्नाटक भिखारी निषेध अधिनियम 1975 के तहत भीख मांगने और इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को अधिनियमित करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। भीख मांगने वाले काे गिरफ्तार करने तक का प्रावधान है, इसके बाद भी भिखारी कम नहीं हुए। लेकिन भिखारियों में एक डर जरूर पैदा हुआ।
राजधानी में कोई पांच हजार भिखारी
– भोपाल की बात करें तो यहां बच्चे, बुजुर्ग, लड़कियां मिलाकर करीब पांच हजार भिखारी हैं, जो सुबह चौराहों पर सक्रिय हो जाते हैं और रात होते ही मंदिरों या झुग्गियों में चले जाते हैं।- चार साल से नहीं हुई एक भी कार्रवाई
करीब चार साल पूर्व भिक्षावृत्ति को लेकर बोर्ड ऑफिस, न्यू मार्केट में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भीख मांगने वाली महिलाओं पर कार्रवाई हुई थी। उनको समझाइश दी गई, लेकिन उनको कहां रखें ये समस्या उस समय खड़ी हो गई। इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई।
वर्जनभिक्षावृत्ति रोकने के लिए डायरेक्टेड से क्या नियम हैं, इसकी जानकारी की जाएगी। इसके बाद आगे प्लान बनाकर प्रस्तुत करेंगे, इसके बाद जैसे निर्देश मिलेंगे वैसी कार्रवाई की जाएगी।
आरके सिंह, उप संचालक, सामाजिक न्याय विभाग, भोपाल